- आरोप | करीब एक साल से दीवारी खदान का संचालन कर रहे मेसर्स केपीएस भदौरिया ने मनमाने ढंग से किया काम, न सफाई का ध्यान रखा, न ही कराया पौधरोपण
- मप्र नियंत्रण बोर्ड, शहडोल और अमरपुर प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच ग्रामसभा के सदस्यों ने रखी मांग, कहा : नदियों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा ठेकेदार
- नदियों के अस्तित्व को खतरे में डालकर मशीनों से खुदाई करा रहा ठेकेदार, कमको मोहनिया, दीवारी, बर्रा टोला, आमा टोला सहित कई गांवों में सूखे कूप, कुंआ और बावड़ी
डिंडौरी जिले के अमरपुर ब्लॉक के कमको मोहनिया गांव में बीते दिनों मध्यप्रदेश नियंत्रण बोर्ड, शहडोल और स्थानीय प्रशासन की ओर से जनसुनवाई का आयोजन किया गया। इसमें रेत खदान का संचालन कर रहे मेसर्स केपीएस भदौरिया द्वारा एग्रीमेंट के विरुद्ध की जा रही गतिविधियों पर ग्रामीणों ने अपनी बात रखी। बोर्ड और अमरपुर प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच ग्रामीणों ने कहा कि भदौरिया ग्रुप पर्यावरण की अनदेखी कर करीब सालभर से दीवारी रेत खदान चला रहा है। नियम के अनुरूप ठेकेदार ने क्षेत्र में न तो स्वच्छता का ध्यान रखा है, न ही पौधे लगवाए हैं। लिहाजा, कमको मोहनिया रेत खदान का जिम्मा ग्रामसभा को सौंपा जाए। युवा सदस्य डॉ. दिग्विजय सिंह मरावी ने कहा, खदान के पूर्व संचालकों ने भी ग्रामीणों और गांव के अस्तित्व को खतरे में डाला। वह सिर्फ दावा करते हैं कि नदी के बहते जल या पानी के भीतर से रेत नहीं निकालेंगे, लेकिन हकीकत इससे कहीं अलग है। वर्तमान में भदौरिया ग्रुप की ओर से नदियों के अस्तित्व को खतरे में डालकर विशालकाय मशीनों से खुदाई कराई जा रही है। इसका सबसे बड़ा दुष्परिणाम यह है कि कमको मोहनिया, दीवारी, बर्रा टोला, आमा टोला सहित कई गांवों में सार्वजनिक कूप, कुंआ, बावड़ियों का जलस्तर लगातार घट रहा है।
सैकड़ों परिवारों को नहीं मिल रहा पीने का पानी
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डॉ. दिग्विजय मरावी |
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कामता सिंह परस्ते |
ग्रामसभा के युवा सदस्य कामता सिंह परस्ते ने कहा, अमरपुर ब्लॉक के कमको टोला, बर्रा टोला, आमा टोला सहित कई गावों में सैकड़ों परिवारों के पेयजल के लिए एकमात्र कुंआ रेत खदान वाले मार्ग से महज 100 मीटर दूर स्थित है। वह भी वाहनों की आवाजाही के कारण प्रदूषित हो चुकी है। भदौरिया ग्रुप द्वारा पर्यावरण स्वीकृति के लिए प्रस्तुत कार्यवाही सारांश में कमको मोहनिया के उत्तर में स्थित जंगल और 10 किलोमीटर के दायरे में पहाड़ी या घाटी का जिक्र ही नहीं है। ठेकेदार ने ग्रामीणों को गुमराह किया है। वर्तमान में सैकड़ों ग्रामीणों को रोजाना पीने के पानी के लिए संघर्ष करना पड़ता है। केपीएस भदौरिया ग्रुप ने दीवारी में नदी के प्राकृतिक स्वरूप को बिगाड़ डाला है। मशीनों से उत्खनन कराने के कारण जलीय जैव विविधता पर भी बुरा असर पड़ा है, जिससे कई किस्मों की मछलियों समेत बामी, सीपी, चिकलगड़ी, कछुआ आदि जीव पूर्ण रूप से विलुप्त हो चुके हैं।
प्रशासन बनाए नई व्यवस्था वरना होगा आंदोलन
ग्रामीणों ने रेत खदान संचालक की गतिविधियों पर सख्त आपत्ति जताते हुए नई व्यवस्था के तहत ग्रामसभा को कमको मोहनिया रेत खदान की जिम्मेदारी सौंपने को कहा। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर आगे भी ठेकेदार की अनैतिक गतिविधियां जारी रहीं तो ग्रामीण जनहित याचिका लगाएंगे और जरूरत पड़ी तो बड़े आंदोलन को अंजाम देंगे। जनसुनवाई में मौजूद अमरपुर नायब तहसीलदार नीलम श्रीवास और मप्र प्रदूषण बोर्ड के रीजनल ऑफिसर मेहताजी ने मामले की गंभीरता पर चर्चा कर समाधान निकालने का भरोसा दिलाया।