- शहर के राठौर समाज ने योद्धा दुर्गादास की जयंती पर अर्पित की श्रद्धांजलि, अमरकंटक रोड स्थित शिरोमणि दुर्गादास तिराहे पर सादे कार्यक्रम का आयोजन
डीडीएन रिपोर्टर | डिंडौरी
मारवाड़ के वीर योद्धा और भारत के सच्चे सपूत शिरोमणि दुर्गादास राठौड़ की 382वीं जयंती पर गुरुवार को डिंडौरी के राठौर समाज ने उन्हें याद करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किया। कोरोना वायरस संक्रमण और सरकार के निर्देशों के मद्देनजर श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन सादे तरीके से किया गया। अमरकंटक रोड स्थित शिरोमणि दुर्गादास तिराहे पर समाज के सदस्यों सहित भाजपा संभागीय संघटन मंत्री शैलेंद्र बरुआ, जिलाध्यक्ष नरेंद्र राजपूत, पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे, नप अध्यक्ष पंकज सिंह तेकाम आदि ने भी श्रद्धांजलि दी। राठौर समाज के मुखिया ओएस चंदेल ने कहा कि भारत के सपूत दुर्गादास की कुर्बानी सदियों तक याद रखी जाएगी। उन्होंने 16वीं सदी में देश की अस्मिता और सनातन धर्म की रक्षा के लिए मुग़ल सेना से लोहा लिया। प्राण देकर मातृभूमि की रक्षा करने वाले बहादुर दुर्गादास राठौड़ देश के अनगिनत नागरिकों के आदर्श हैं। कार्यक्रम में भाजपा जिला मीडिया प्रभारी दशरथ सिंह राठौर, युवा मोर्चा अध्यक्ष कृष्णा सिंह परमार, उपाध्यक्ष महेश पाराशर, पार्षद मोहन नरवरिया, माधव शरण पाराशर, पीएस चंदेल, हरिहर पाराशर, इंद्रकुमार चंदेल, चेतराम राजपूत, मुरली मनोहर पाराशर, राजेश पाराशर, हेम सिंह राजपूत, विवेक पाराशर, रूपभान पाराशर सहित समाज के अन्य लोग मौजूद थे।
धर्म-समाज की रक्षा के लिए औरंगजेब को दी टक्कर
दुर्गादास राठौड़ का जन्म 13 अगस्त 1638 को मारवाड़ (राजस्थान) में हुआ था। 17वीं सदी में महाराजा जसवंत सिंह के स्वर्गवास के बाद राठौड़ वंश को बनाए रखने की जिम्मेदारी दुर्गादास के कंधों पर आ गई। सिरफिरे मुग़ल शासक औरंगजेब ने कई बार उन्हें चुनौती दी, लेकिन दुर्गादास ने उसकी हर चाल को नाकाम करते हुए देश की अस्मिता और सनातन धर्म की रक्षा की। औरंगजेब भारत को पूर्ण इस्लामिक राष्ट्र बनाना चाहता था। उसके मंसूबों को विफल करने का श्रेय वीर दुर्गादास को जाता है।
दुर्गादास मारवाड़ के महाराजा जसवंत सिंह के मंत्री आसकरण राठौड़ के पुत्र थे। उनका पालन-पोषण लुनावा नामक गांव में हुआ।