IMMENSE FAITH | 'मां नर्मदा संरक्षण के लिए आजीवन निराहार रहने का संकल्प, अब या तो समाधान चाहिए या समाधि' : डिंडौरी में बोले समर्थ भैयाजी सरकार

  • मां नर्मदा मिशन के संस्थापक और प्रकृति प्रेमी भैयाजी सरकार ने डिंडौरी में डेमघाट पर मीडिया से की चर्चा

  • जिले में मां नर्मदा की स्थिति पर जताई चिंता, कहा : अवैध रेत खनन और अतिक्रमण सबसे बड़ा खतरा

  • आम नागरिकों सहित संत समाज से की एकजुट होकर नर्मदा संरक्षण के लिए आवाज़ उठाने की अपील



डीडीएन रिपोर्टर | डिंडौरी

मां नर्मदा मिशन के संस्थापक समर्थ और प्रकृति प्रेमी भैयाजी सरकार बुधवार को डिंडौरी में थे। उन्होंने डेमघाट पर मीडिया से मां नर्मदा संरक्षण और अपने संकल्प पर बात की। जिले में मां रेवा की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि जगह-जगह से नालियां/नाले पवित्र जल में मिल रहे हैं। यह प्रकृति के लिए ठीक नहीं। कोरोना से जनित हालातों के बाद तो हमारे पास नर्मदा जी को बचाने के अलावा कोई विकल्प भी नहीं है। आइए, हम सब एकजुट हों और मां की रक्षा का संकल्प लें। जिम्मेदार बनें। जागरूक हों। आवाज़ उठाएं और सरकार को जगाएं। भैयाजी सरकार ने बताया कि उन्होंने नर्मदा मिशन के लिए आजीवन निराहार रहने का संकल्प लिया है। निराहार रहते बुधवार को 363 दिन पूरे हो गए। बोले - अब या तो समाधान चाहिए या समाधि। उन्होंने रेत खनन और तटों पर अतिक्रमण को मां रेवा के अस्तित्व के लिए बड़ा खतरा बताया। उन्होंने कहा कि नए नियम के अनुसार सरकार ने डूब क्षेत्र से 300 मीटर की सीमा में कोई भी निर्माण कार्य न करने के आदेश दिए हैं। यह दायरा नर्मदा जी का हरित क्षेत्र कहलाता है। इसे अतिक्रमण से नष्ट न करें। मां का जल ब्रह्मांड का सबसे शक्तिशाली तत्व है। इस अनमोल तत्व की सुरक्षा ही अब उनके जीवन का ध्येय है। वह बीते 363 दिन से सिर्फ नर्मदा जल का सेवन कर रहे हैं। होशंगाबाद जिले की बाड़ी बरेली पंचायत में घाटों की नीलामी के खिलाफ जनांदोलन का उदाहरण देते हुए भैयाजी सरकार ने कहा कि वहां चार गांव के लोगों ने एकजुटता दिखाई और सरकार को हार मानकर नीलामी रोकना पड़ी। नर्मदा संरक्षण के लिए यही जोर डिंडौरी के भक्त भी लगाएं।



नर्मदा संरक्षण के लिए राजनीतिक से ज़्यादा सामाजिक प्रयास की ज़रूरत

भैयाजी सरकार ने कहा कि मां रेवा का जलस्तर लगातार कम हो रहा है। यह गंभीर विषय है। इस दिशा में राजनीतिक से ज़्यादा सामाजिक प्रयास की ज़रूरत है। प्रशासन राजनीति से परे होकर योजनाओं का क्रियान्वयन कराए। जितना नुकसान होना था, हो गया... अब और मत होने दीजिए। संतों से एकजुट होने का आह्वान करते हुए कहा कि मिशन के लिए सरकार से लगातार बात हो रही है। लेकिन आम जनता सहित संत समाज का आगे आना भी ज़रूरी है। आस्था जगाएं और सततवाहिनी मां को बचाएं।






दीवाली के बाद शुरू करेंगे मां नर्मदा परिक्रमा एवं शुद्धिकरण यात्रा

भैयाजी सरकार ने बताया कि वह दीवाली के बाद मां नर्मदा परिक्रमा एवं शुद्धिकरण यात्रा करेंगे। इस दौरान नदी किनारे बसे क्षेत्रों के नागरिकों से मिलकर उन्हें जनांदोलन के लिए प्रेरित करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकारी काम अपनी जगह है, लेकिन स्थानीय स्तर पर भी प्रयास तेज किए जाएं। हर घर से आंदोलन की शुरुआत करें। नीति, कानून और आदेश से इतर क्रियान्वयन हो। मां नर्मदा में मिलने वाले नालों के निस्तारण के लिए ट्रीटमेंट प्लांट लगवाए जाएं। अवैध रेत उत्खनन पर लगाम लगना चाहिए। रेत कारोबारियों से कहा कि आप इतने वर्षों में नर्मदा का सीना चीरकर बहुत कमा चुके हैं। अपना ज़मीर जगाइए और नर्मदा संरक्षण की ओर कदम बढ़ाइए। डिंडौरी के लोग सौभाग्य समझें कि वह नर्मदा क्षेत्र में रहते हैं। बता दें कि भैयाजी सरकार के नाम दो गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड और एक लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड दर्ज है। 



तटों पर अवैध निर्माण पर जताई चिंता, कहा : मां को बख्श दें अतिक्रमणकारी

भैयाजी सरकार ने डिंडौरी सहित अन्य नर्मदा क्षेत्रों में तटों पर अतिक्रमण को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अगर मां का अस्तित्व बचाना है तो अतिक्रमण पर सख्ती से रोक लगाना होगी। उन्हें युवा आरटीआई एक्टिविस्ट वीरेंद्र केशवानी ने जानकारी दी कि नगर में तटों से सटकर नियम विरुद्ध कई निर्माण कार्य हुए हैं। भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री और पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे के मामले में वीरेंद्र ने हाईकोर्ट में अप्रैल में जनहित याचिका भी लगाई थी। इस पर चार सुनवाई हो चुकी हैं। कोर्ट के आदेश पर 15 सदस्यीय टीम बनाई गई है, जो डिंडौरी आकर पूर्व मंत्री के अवैध निर्माण की जांच करेगी। 



परिक्रमावासियों के पैर छूकर मांगा मिशन के लिए सहयोग और आशीर्वाद

मां नर्मदा तट से वापस लौटने के क्रम में भैयाजी सरकार ने स्थानीय परिक्रमावासियों से भेंट की और उनका हालचाल जाना। उन्होंने कम से कम एक बार नर्मदा परिक्रमा कर चुकी माताओं के पैर छूकर मिशन के लिए सहयोग और आशीर्वाद मांगा। मीडिया के ज़रिए से प्रशासन से आग्रह किया कि नर्मदा क्षेत्र में निवासरत परिक्रमावासियों को 'नर्मदा सेवा समिति' में स्थान देकर घाटों की देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी जाए। उन्होंने स्थानीय समाजसेवियों से भी यथाशक्ति योगदान देने की अपील की।








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