PUBLIC CONCERN | गर्ल्स हायर सेकंडरी स्कूल शहपुरा... जर्जर दीवारें, टपकती छत, न पंखे, न ही सुचारू बिजली व्यवस्था; जान जोखिम में डालकर पढ़ाने को मजबूर टीचर्स, अगस्त में यहीं पर 240 स्टूडेंट्स देंगे एंट्रेंस एक्जाम

  • विधायक भूपेंद्र सिंह मरावी को नहीं अपने क्षेत्र की खबर, मीडिया ने बताया तो दिया रटारटाया जवाब- कलेक्टर से बात कर कराएंगे मरम्मत



डीडीएन रिपोर्टर | शहपुरा/डिंडौरी

डिंडौरी जिले के विकास के लिए हर साल करोड़ों रुपयों का फंड जारी होता है, लेकिन राशि का उपयोग सही मद में होने के बजाय न जाने कहां होता है। शिक्षा, स्वास्थ्य सहित मूलभूत नागरिक सुविधाओं के लिए जिले की जनता सालों से तरसती आ रही है और जनप्रतिनिधि व जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदकर बेसुध से पड़े रहते हैं। उन्हें जब जिले में व्याप्त अव्यवस्थाओं से वाकिफ कराया जाता है तो वही सदियों पुराना रटारटाया जवाब मिलता है- 'हमें मीडिया से ही जानकारी मिल रही है। जल्द दिखवाते हैं।' ताजा मामला शहपुरा स्थित गर्ल्स हायर सेकंडरी स्कूल का है, जहां की दीवारें अपनी अंतिम सांसें गिन रही हैं और छत जगह-जगह से टपक रही है। स्कूल में पंखे भी खराब हो चुके हैं और बिजली की सुचारू व्यवस्था भी नहीं है। बारिश के कारण स्कूल की दीवारों पर सीलन का कब्जा हो चुका है। स्कूल के टीचर्स जान जोखिम में डालकर पढ़ाने को मजबूर हैं। इसी केंद्र में अगस्त में 240 स्टूडेंट्स जवाहर नवोदय विद्यालय और एकलव्य आवासीय में एडमिशन के लिए एंट्रेंस एक्जाम देने वाले हैं। इसकी जानकारी जब विधायक भूपेंद्र सिंह मरावी को दी गई ताे उन्होंने वही रटारटाया उत्तर दिया कि उन्हें मीडिया के जरिए की पता चल रहा है। वह जल्द ही कलेक्टर रत्नाकर झा से बात कर सुधार कार्य कराएंगे। वर्ष 2021 का शिक्षण सत्र 26 जुलाई से शुरू हो चुका है। हमने स्टूडेंट्स से स्कूल की व्यवस्थाओं पर चर्चा कर मौजूदा हाल जानने की कोशिश की। स्कूल ही बदहाली से स्टूडेंट्स भी बुरी तरह डरे हुए हैं, लेकिन कोई अन्य विकल्प न होने की वजह से वह यहां आकर पढ़ने को मजबूर हैं। वहीं, टीचर्स के मन में भी डर व्याप्त है। 



2007-08 में लाखों की लागत से बना था स्कूल भवन

स्कूल के प्रिंसिपल एसके सोनी ने बताया कि स्कूल भवन का निर्माण साल 2007-08 में लाखों की लागत से कराया गया था। तब से अब तक स्कूल की ठोस मरम्मत पर जरा भी ध्यान नहीं दिया गया। निर्माण के दौरान तत्कालीन विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण भवन का निर्माण कार्य गुणवत्ता की अनदेखी कर कराया गया। 10-12 साल में ही स्कूल की बिल्डिंग जर्जर हो चली है। विभाग के इंजीनियर स्कूल की मरम्मत के लिए जांच कर चुके हैं, लेकिन सुधार कार्य की पहल आज तक नहीं हुई। प्रिंसिपल के अनुसार पूर्व में मरम्मत कराई जा रही थी, लेकिन अब काॅलम भी दीवार छोड़कर बाहर की तरफ निकल रहे हैं। इन हालातों में पूरे भवन का सुधार कार्य आसान नहीं होगा।



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