- मामले की सुनवाई 11 जून को नर्मदा मिशन की जनहित याचिका के साथ करेगी चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस सुजॉय पॉल की युगलपीठ
- वीरेंद्र की ओर से एडवोकेट राजेश चंद और आरबी साहू ने रखा पक्ष, मां नर्मदा तट से 300 मीटर की दूरी तक नहीं हो सकता कोई भी निर्माण कार्य
डिंडौरी के आदिवासी नेता, पूर्व कैबिनेट मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे ने नगर में मां नर्मदा तट पर अवैध तरीके से दो मंजिला भवन का निर्माण करा लिया है। जबकि हाईकोर्ट पूर्व में स्पष्ट कर चुका है कि मां नर्मदा तटों पर बाढ़ के उच्चतम स्तर से 300 मीटर की दूरी तक कोई भी निर्माण नहीं किया जा सकता। यह आराेप लगाते हुए डिंडौरी के यंग सोशल वर्कर वीरेंद्र केशवानी ने जबलपुर हाईकोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दाखिल की है। PIL में हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर अवैध भवन निर्माण को चुनौती दी गई है। इसमें आरोप हैं कि भाजपा के केंद्रीय संगठन में मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे ने डिंडौरी में मां नर्मदा तट से सटकर भवन बनवाया है, जो कानूनन अवैध है। PIL के बिंदुओं व हाईकोर्ट के दिशानिर्देशों के आधार चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस सुजॉय पॉल की युगलपीठ मामले की सुनवाई 11 जून को पूर्व से विचाराधीन नर्मदा मिशन की जनहित याचिका के साथ करेगी।
एडवोकेट राजेश चंद और आरबी साहू ने रखा पक्ष
हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता वीरेंद्र की ओर से एडवोकेट राजेश चंद और आरबी साहू ने पक्ष रखा है। उन्होंने दलील दी कि मां नर्मदा तट से 300 मीटर की दूरी तक कोई भी निर्माण नहीं होना चाहिए, जबकि पूर्व कैबिनेट मंत्री धुर्वे ने किनारे से सटकर अच्छा-खासा निर्माण करा रखा है। वीरेंद्र ने सूचना के अधिकार (RTI) के माध्यम से पता किया कि डिंडौरी नगर पंचायत सहित अन्य अथॉराइज्ड बॉडीज़ ने उपरोक्त निर्माण के लिए किसी तरह की स्वीकृति नहीं दी है। पूर्व मंत्री ने पद और रुतबे का इस्तेमाल कर मां नर्मदा से सटकर भवन बनाया है। लिहाजा, यह निर्माण पूर्ण रूप से अवैध है।