- पुराण में शनिवार को वृंदावन धाम की कथा वाचक ने सुनाई सप्तऋषि वर्णन, कपिलोपाख्यान, ध्रुव चरित्र और पुरंजनोपाख्यान की कथा
- सैकड़ाें की संख्या में श्रद्धालुओं ने लिया पुण्यलाभ, रविवार को सुनिए भरत चरित्र, अजामिलोपाख्यान, नृसिंह अवतार और प्रह्लाद चरित्र
डिंडौरी के वार्ड-05 निवासी सुशीला-राम लाल बर्मन की ओर से किशोरी रिसॉर्ट में आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत पुराण कथा के दूसरे दिन शनिवार को वृंदावन धाम की कथा वाचक रक्षा सरस्वती ने जीवनोपयोगी प्रसंगाें का वर्णन किया। सप्तऋषि वर्णन, कपिलोपाख्यान, ध्रुव चरित्र और पुरंजनोपाख्यान की कथा के दौरान युवा कथा वाचक ने कहा, श्रीमद्भागवत पुराण सुनने का अवसर हर मनुष्य को नहीं मिलता। ईश्वर के विशेष कृपापात्र लोग ही कथामृत का रसपान कर पाते हैं। रक्षा सरस्वती ने कथास्थल पर मौजूद माता-पिताओं को हिदायत दी कि अपनी संतान को 'लड़का' या 'लड़की' कहने के बजाय 'बेटा' या 'बेटी' शब्द का प्रयोग करें। वर्तमान समय की भागदौड़ भरी जिंदगी में मनुष्य को शस्त्र और शास्त्र दोनों का ज्ञान होना अनिवार्य है। कथापाठ के दौरान डिंडौरी सहित आसपास के क्षेत्रों के सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित थे। श्रीमद्भागवत पुराण में रविवार को भरत चरित्र, अजामिलोपाख्यान, नृसिंह अवतार और प्रह्लाद चरित्र की कथा सुनाई जाएगी। कथा 18 फरवरी तक दोपहर 02:30 से शाम 05:30 बजे तक जारी रहेगी। 19 फरवरी को दोपहर 12:30 बजे समापन और महाप्रसाद का वितरण होगा।
ज्ञान, भक्ति और वैराग्य का महान ग्रंथ है भागवत पुराण
कथा वाचक रक्षा सरस्वती ने बताया, श्रीमद्भागवत पुराण हिंदू समाज का सर्वाधिक आदरणीय पुराण है। यह वैष्णव संप्रदाय का प्रमुख ग्रंथ है। इसमें वेदों, उपनिषदों और दर्शन शास्त्र के गूढ़ व रहस्यमय विषयों को सरलता से निरूपित किया गया है। इसे 'भारतीय धर्म और संस्कृति का विश्वकोश' कहना अधिक प्रासंगिक होगा। युगों-युगों से यह पुराण हिंदू समाज की धार्मिक, सामाजिक और लौकिक मर्यादाओं की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसमें सकाम कर्म, निष्काम कर्म, ज्ञान साधना, सिद्धि साधना, भक्ति, अनुग्रह, मर्यादा, द्वैत-अद्वैत, निर्गुण-सगुण और व्यक्त-अव्यक्त रहस्यों का समन्वय है। यह पुराण त्रय ताप-आधिभौतिक, आधिदैविक और आधिदैहिक का शमन करता है। इस महान ग्रंथ में ज्ञान, भक्ति और वैराग्य का अनोखा समावेश है।