Belief & Religion | गोकुल की गलियों में बाललीलाएं दिखाने के बाद श्रीकृष्ण ने विदर्भ की राजकुमारी रुक्मिणी से रचाया विवाह, डिंडौरी के हजारों श्रद्धालु बने घराती-बाराती

  • डिंडौरी के किशोरी रिसॉर्ट में जारी श्रीमद्भागवत महापुराण में आज कथाव्यास रक्षा सरस्वती ने किया श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह, सुदामा चरित्र और द्वारका लीला का वर्णन


  • भाजपा जिलाध्यक्ष नरेंद्र सिंह राजपूत और मंडल अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह ठाकुर सहित अन्य पदाधिकारी पहुंचे कथा मंडप, कथा सुनी और लिया कथाव्यास का आशीर्वाद

  • गुरुवार को हाेगा नवयोगेश्वर संवाद, अवधूतोपाख्यान, कलि धर्म प्रसंग वर्णन और कथा समापन, 19 फरवरी को दोपहर 12:30 बजे से किया जाएगा महाप्रसाद वितरण


डीडीएन रिपोर्टर | डिंडौरी

डिंडौरी के वार्ड-05 स्थित किशोरी रिसॉर्ट में जारी सात दिनी श्रीमद्भागवत महापुराण में बुधवार को कथाव्यास रक्षा सरस्वती ने श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह, सुदामा चरित्र और द्वारका लीला का वर्णन किया। कथाव्यास ने मंगलवार को श्रीकृष्ण जन्म से लेकर उनकी मोहक बाललीलाओं की कथा सुनाई थी। वहीं, आज बताया कि गोकुल की गलियों में लोकलुभावन लीलाएं दिखाने के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मिणी से विवाह रचाया। रक्षा सरस्वती ने कहा कि देवी रुक्मिणी को लक्ष्मी का अवतार भी माना जाता है। उन्होंने श्रीकृष्ण से प्रेम विवाह किया था। द्वारका के राजाधिराज श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी के अनुरोध पर एक अवांछित विवाह को रोकने के लिए उनका अपहरण किया और उन्हें साथ लेकर भाग निकले। इस तरह तमाम अवरोधों के बाद श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह संपन्न हुआ। नगर के बर्मन परिवार की ओर से आयोजित श्रीमद्भागवत पुराण में अब सिर्फ दो दिन ही शेष हैं। मुख्य यजमान रामलाल बर्मन-सुशीला बर्मन ने डिंडौरीडॉटनेट काे बताया कि पुराण में गुरुवार को नवयोगेश्वर संवाद, अवधूतोपाख्यान और कलि धर्म प्रसंग वर्णन के साथ कथा का समापन किया जाएगा। 19 फरवरी को दोपहर 12:30 बजे से महाप्रसाद वितरण किया जाएगा। वृंदावन धाम की कथाव्यास रक्षा सरस्वती के साथ भजन मंडली में ऑर्गन पर मन्नू कुमार, पैड पर रवि, तबले पर राजू और झनकी पर पवन संगत कर रहे हैं। 





कृष्ण-सुदामा ने प्रस्तुत किया मित्रता का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण 

महापुराण में श्रीकृष्ण-सुदामा प्रसंग में कथावाचक ने कहा कि भगवान कृष्ण और सुदामा ने समूची सृष्टि के सामने नि:स्वार्थ मित्रता का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत किया था। दोनों ने एक ही गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण की। एक त्रिलोकी के नाथ और एक दरिद्र ब्राह्मण। भगवान श्रीकृष्ण ने अवंतिका, उज्जैन के संदीपनी आश्रम में गुरु संदीपन से शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने आश्रम में 64 दिन रहकर 64 प्रकार की शिक्षाएं लीं। जब भगवान श्रीकृष्ण द्वारकाधीश बनकर द्वारका में राज कर रहे थे, तब सुदामा की पत्नी सुशीला ने पति से मित्र द्वारकाधीश से मिलकर आने को कहा। सुदामा दरिद्र तो थे, लेकिन उन्होंने कभी किसी के आगे हाथ नहीं पसारे और न ही वह भगवान से कुछ मांगना चाहते थे। वह तो अपने भगवान को पूर्ण रूप से समर्पित थे। पत्नी सुशीला के कहने पर वह द्वारिका नगरी गए। जैसे ही सुदामा श्रीकृष्ण की नगरी में पहुंचे और भगवान को पता चला कि सुदामा उनसे मिलने आए हैं तो उन्होंने अपने कक्ष से नंगे पैर ही दौड़ लगा दी। भगवान ने सुदामा को देखते ही उन्हें गले से लगा लिया। सुदामा को साथ लेकर श्रीकृष्ण सत्कार कक्ष में आए और अपने सिंहासन पर बिठाकर अश्रुओं की धारा से उनके चरण धोए। इस प्रसंग की मार्मिकता सुनकर श्रोताओं की आंखों से अनायास ही झरने की तरह आंसु बह पड़े। 

भाजपा के जिला पदाधिकारी पहुंचे कथास्थल, लिया आशीर्वाद

श्रीमद्भावगत पुराण में आज भाजपा जिलाध्यक्ष नरेंद्र सिंह राजपूत, डिंडौरी मंडल अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह ठाकुर, ध्रुव पटेल, पवन शर्मा, राहुल पांडेय, बालकृष्ण नंदा सहित अन्य भाजपाइयों ने भी हाजिरी लगाई। सभी ने भगवान श्रीकृष्ण की कथाओं का रसपान किया और कथाव्यास रक्षा सरस्वती को श्रीफल भेंटकर आशीर्वाद प्राप्त किया। पुराण में डिंडौरी सहित दूर-दराज के दर्जनों गांवों के सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचकर पुण्यलाभ ले रहे हैं। 

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