City Guest | मजबूत इरादों से 29035 फीट ऊंचे माउंट एवरेस्ट को बौना साबित करने वाले मप्र के पहले माउंटेनियर रत्नेश पांडे आए डिंडौरी, कहा : मां नर्मदा की गोद में अद्भुत सुकून



  • समुद्र तल से 8848 मीटर की ऊंचाई पर स्थित 'माउंट एवरेस्ट' पर भारत का तिरंगा फहराकर राष्ट्रगान गाने वाले दुनिया के पहले माउंटेनियर 

  • रत्नेश ने 05 दिसंबर 2015 को मोटरबाइक स्टंट्स में बनाया 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड', मध्यप्रदेश सरकार ने खेल अलंकरण से नवाजा
  • सितंबर 2016 में ईरान के सबसे ऊंचे पर्वत 'माउंट दमावंद' और दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी 'माउंट सबालान' पर चढ़ाई कर बनाया रिकॉर्ड

गौतम आरके | डिंडौरी

21 मई 2016 को धरती के सबसे ऊंचे पर्वत 'माउंट एवरेस्ट' की चोटी पर आधिकारिक रूप से भारत का तिरंगा फहराकर राष्ट्रगान 'जन गण मन' का गाने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति और मप्र के पहले माउंटेनियर रत्नेश पांडे बुधवार को डिंडौरी पहुंचे। वह चित्रकूट धाम से शुरू हुई श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र अभियान के तहत युवा जन जागरण यात्रा में बजरंग दल के प्रांत संयोजक उदय प्रताप सिंह के साथ शहर आए। 05 दिसंबर 2015 को मोटरबाइक स्टंट्स में 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड' में नाम दर्ज करा चुके सतना निवासी रत्नेश ने डिंडौरीडॉटनेट काे एक्सलूसिव इंटरव्यू दिया। उन्होंने कहा, मां नर्मदा की गोद में बसे सुंदर शहर डिंडौरी में आकर अद्भुत सुकून मिला। वह श्रीअयोध्या धाम में बन रहे श्रीराम मंदिर को समर्थन देने वाली यात्रा के साथ मोटरसाइकिल से प्रदेश के सभी जिलों में भ्रमण का लक्ष्य लेकर निकले हैं। अब तक वह 20 जिले कवर कर चुके हैं। उनकी यात्रा डिंडौरी से अनूपपुर जिले की ओर रवाना होगी।

 

ऐसी थी माउंट एवरेस्ट फतह करने की यात्रा 

रत्नेश ने बताया कि उन्होंने 21 मई 2016 को माउंड एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी। एवरेस्ट के शिखर पर उस वक्त पारा माइनस 40 डिग्री था और बर्फीली हवाएं 40 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चल रही थीं। उनके ग्रुप में 16 पर्वतारोही थे, जिनमें से सिर्फ 10 ही कामयाब हुए। इनमें उनके अलावा एक अन्य भारतीय था। इस यात्रा में रत्नेश को कई परेशानियों से भी लड़ना पड़ा था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आगे बढ़ते रहे। अंतत: वह कामयाब हुए और एवरेस्ट की चोटी पर देश का तिरंगा फहराकर राष्ट्रगान गाया। इससे पहले 2015 में भी रत्नेश ने ऐसी ही कोशिश की थी, लेकिन एवरेस्ट क्षेत्र में भूकंप के कारण अभियान अधूरा रह गया था। 

सीएम शिवराज चौहान ने 'खेल अलंकरण' से नवाजा

35 वर्षीय रत्नेश की एक्स्ट्राऑर्डिनरी उपलब्धियों के लिए उन्हें नवंबर 2016 में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने खेल अलंकरण से नवाजा था। साथ ही सतना स्मार्ट सिटी के लिए मप्र सरकार ने उन्हें ब्रांड एंबेसडर भी नियुक्त किया था।वह मोटर साइकिलिंग में करतब दिखाकर कई विश्व रिकॉर्ड भी अपने नाम कर चुके हैं। उन्होंने समुद्र तल से 8848 मीटर की ऊंचाई पर स्थित विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया। उन्होंने सितंबर 2016 में ईरान के सबसे ऊंचे पर्वत 'माउंट दमावंद' और दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी 'माउंट सबालान' पर भी चढ़ाई कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है।

मां से कहा था- मरने नहीं कुछ करने जा रहा हूं...

रत्नेश ने डिंडौरीडॉटनेट को बताया, 'मुझे शुरू से ही एवरेस्ट पर चढ़ाई करने का जुनून था। मेरे दोस्त और फैमिली मेंबर्स ने कहा था कि तुम वहां मरने के लिए क्यों जा रहा हो। तब मैंने मां से कहा कि 'मैं मरने नहीं कुछ करने जा रहा हूं..।' मैंने मन में ठानी और माउंट एवरेस्ट पर देश का तिरंगा फहराकर ही सांस ली। मैं भारतीय पर्वतारोही संस्थान का प्रोफेशनल माउंटेनियर हूं। एवरेस्ट पर चढ़ते सतक बस मन में एक ही बात थी कि मुझे अपना वादा पूरा करना है। मैं कदम आगे बढ़ाता गया और एवरेस्ट की ऊंचाई पर पहुंचकर जब राष्ट्रगान गाया तो शरीर में ऊर्जा की ऐसी लहर उठी कि सारी थकान भूल गया।' 

कठिन परिश्रम और प्री-प्लानिंग के साथ की चढ़ाई

रत्नेश बताते हैं, 'एवरेस्ट पर चढ़ाई के लिए 2012 से तैयारी शुरू कर दी थी। मैंने नेपाल जाकर पता किया कि एवरेस्ट पर जाने के लिए क्या-क्या करना होगा? फिर मैंने अटल बिहारी बाजपेयी पर्वतारोहण और खेल संस्थान से बेसिक और एडवांस कोचिंग ली। इस दौरान मैंने 12 बार माउंटेन पिक जमा की। फिर मुझे 2015 में एवरेस्ट पर चढ़ने का मौका मिला। लेकिन, उस वक्त नेपाल में भूकंप के कारण मेरा सपना पूरा नहीं हो सका। फाइनली 21 मई 2016 को मेरा लक्ष्य पूरा हुआ।'  

एक बार की चढ़ाई में ₹25 से 30 लाख का खर्च 

रत्नेश ने बताया, 'माउंट एवरेस्ट की एक बार की चढ़ाई में ₹25 से 30 लाख का खर्च आता है। पहली बार मुझे कई लोगों की मदद और अपनी पूंजी के साथ यह रकम जुटाई। दूसरी बार मुझे कोई ऑफिशियल स्पाॅन्सर नहीं मिला। मैंने दोस्तों सहित अन्य परिचितों से उधार लिया और यात्रा पर निकल पड़ा। दिमाग में सिर्फ एक ही बात थी कि इस बार चूकना नहीं है। एक दिन कैंप में सुबह बहते पानी से मुंह धो रहा था। वहां मौजदू मेरे साथी ने मुझे रोका और कहां कि तुम ये क्या कर रहे हो। मैंने कहा, मुंह ही तो धो रहा हूं। उसने बताया कि इस पानी का उपयोग नीचे रहने वाले लोग पीने के लिए करते हैं। हम यहां ऐसा नहीं कर सकते। इससे मुझे पता चला कि साफ-सफाई और पानी की अहमियत है।'

मजबूत इरादों से किया 29035 फीट की चोटी को बौना

बकौल रत्नेश, 'मैं 29035 फीट ऊंची माउंट एवरेस्ट की चोटी को फतह करने का मजबूत इरादा लेकर घर निकला था। एवरेस्ट की चोटी तक पहुंचना हर माउंटेनियर का सपना होता है। मैं भी एवरेस्ट के शिखर पर पहुंचना चाहता था। खासतौर पर चाहता था कि मप्र में पर्वतारोहण को लेकर लोगों में जागरुकता आए। इसी को देखते हुए मैंने मप्र सरकार के सामने दो प्रस्ताव रखे। इसमें एक एवरेस्ट पर तिरंगा फहराना और दूसरा प्रदेश में ऐसी साहसिक गतिविधियों को बढ़ावा देना। मुझे खुशी है कि मुझे इन सपनों को पूरा करने की इजाजत मिली।'

मंदिर निर्माण में प्रत्येक नागरिक की भूमिका : उदय प्रताप सिंह

जन जागरण यात्रा के संयोजक और बजरंग दल के प्रांत संयोजक उदय प्रताप सिंह ने कहा, हम सौभाग्यशाली हैं कि सदियों के कठिन परिश्रम और संघर्ष के बाद भगवान श्रीराम का मंदिर निर्माण देखेंगे। यात्रा का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के विषय में जागरूक करना है। 500 वर्षों की तपस्या और लाखों अनुयायियों के अथक प्रयासों से देश के लिए गौरवभरा क्षण आ रहा है। मंदिर निर्माण में भारत के प्रत्येक नागरिक की भूमिका होगी। महाअभियान में कोई भी छोटा और बड़ा नहीं है। प्रभु ने सबको सेवा करने का अवसर प्रदान किया है। 



स्व. अयोध्या प्रसाद बिलैया को अर्पित की श्रद्धांजलि

यात्रा के साथ शहर आए उदय प्रताप सिंह और रत्नेश पांडे ने नगर के प्रतिष्ठित सराफा कारोबारी व समाजसेवी स्व. अयोध्या प्रसाद बिलैया को श्रद्धांजलि देने उनके निवास पर पहुंचे। उन्होंने स्व. बिलैया के बड़े बेटे बजरंग दल के प्रांत विद्यार्थी प्रमुख रवि राज बिलैया व परिजनों से मुलाकात कर सांत्वना दी और पुण्यआत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। 

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