डीडीएन रिपोर्टर | डिंडौरी/भोपाल
भोपाल की नेशनल अवॉर्डी साइंस कम्युनिकेटर सारिका घारू डिंडौरीडॉटनेट के माध्यम से सौरमंडल से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी दे रही हैं। उनकी जानकारी ग्रहों में रिवर्स गियर होता है या नहीं, इस पर केंद्रित है। इनमें ग्रहों के वक्री होने की बात जानकर आम लोगों को ग्रहों के रिवर्स गियर में चलने का अंदाज लगता है, जबकि सामान्य विद्यार्थी भी जानता है कि सोलरसिस्टम में सभी प्लैनेट सूर्य की परिक्रमा एक ही दिशा में चलते हुए करते रहते हैं। सारिका कहती हैं कि ग्रहों में रिवर्स गियर नहीं होता।
लाइव मॉडल के जरिए समझाया ग्रहों के वक्री होने का रहस्य
सारिका ने लाइव मॉडल के माध्यम से ग्रहों का वक्री होने के रहस्य को समझाया। उन्होंने बताया, सभी ग्रह अपने ही पथ पर चलते हुए सूर्य की परिक्रमा करते हैं। आकाश में कोई नगर, पहाड़, पेड़ बगैरह नहीं है, जिससे पता चल सके कि कौन सा ग्रह किस पहाड़ या नगर के पास है। इसके लिए उनके पीछे स्थाई रूप से दिखने वाले राशि तारामंडल को आधार माना जाता है, जिसमें यह देखा जाता है कि कोई ग्रह इस समय किस तारामंडल के सामने है।
सारिका कहती हैं, परिक्रमा करते हुए जब पड़ोसी ग्रह पृथ्वी के निकट आते हैं तो पृथ्वी की गति अधिक होने से उनके बगल में स्थित ग्रह पीछे छूटते नजर आते हैं यानी उनके बैकग्राउंड में वह तारामंडल दिखने लगता है, जो कुछ दिन पहले देखा गया था। इससे लगता है कि ग्रह वापस पुराने तारामंडल में जा रहा है।
धरती के नजदीक आने पर होता है ग्रहों के वक्री होने का आभास
सारिका ने बताया, सूर्य की परिक्रमा करते हुए ग्रह अंडाकार पथ पर धरती के करीब आते हैं, तब इनके वक्री होने या उल्टे चलने का आभास होता है। एस्ट्रोलॉजी में शुक्र, शनि और बृहस्पति इसी सप्ताह वक्री बताए गए हैं। इसका कारण है कि अपनी राह में चलते समय पृथ्वी की मुलाकात इस समय ग्रहों से होने जा रही है और इनके वक्री हो जाने की बात के डर का आभास हो रहा है। ग्रहों के उल्टे चलने जैसी बातों से डरने की आवश्यकता नहीं है।