खुशकिस्मत हूं कि मां नर्मदा के क्षेत्र डिंडौरी में सेवा देने का मौका मिला
14 बार रक्तदान कर चुके हैं, पत्नी स्वाति भी डिंडौरी पुलिस में कार्यरत
2016 में राहुल तिवारी को पहली पोस्टिंग डिंडौरी जिले में ही मिली थी
डीडीएन रिपोर्टर | डिंडौरी
पुलिस का नाम आते ही आम नागरिकों में एक अलग किस्म की फीलिंग आ जाती है। इस फीलिंग को डर कहा जा सकता है। ...और यही डर कहीं न कहीं आम नागरिकों को भावनात्मक रूप से पुलिस से दूर कर देती है। यह काफी हद तक वास्तविक भी है, लेकिन एक वास्तविकता यह भी है कि समाज में कई ऐसे पुलिस ऑफिसर्स हैं, जो वर्दी के भीतर आम इंसान ही होते हैं। उनमें भी वही जज्बात बहते हैं, जैसा कि हम आम नागरिकों में। डिजिटल डिंडौरी के पहले ग्लोबल प्लेटफॉर्म डिंडौरीडॉटनेट के पॉपुलर कॉलम 'फेस ऑफ डिंडौरी' में आज हम आपको ऐसे ही पुलिसमैन से रूबरू करा रहे हैं, जो युवा हैं, जज्बाती हैं, समाज के बारे में सोचते-करते हैं और इनमें भी वो सारे भाव हैं, जो आपमें-हममें हैं। इस अंक के 'फेस ऑफ डिंडौरी' हैं शहर की ट्रैफिक को बखूबी नियंत्रित करने वाले पुलिस ऑफिसर राहुल तिवारी। राहुल के हाथों में डिंडौरी जिले की ट्रैफिक व्यवस्था की कमान है। राहुल सरकारी अनुशासन के आगे किसी की भी नहीं सुनते। वो ट्रैफिक नियमों का पालन न करने के चलते कुछ सीनियर ऑफिसर्स का चालान भी बना चुके हैं। वो कहते हैं, 'मेरी पहली पोस्टिंग 2016 में डिंडौरी जिले में हुई। मैं खुशनसीब हूं कि मुझे मां नर्मदा क्षेत्र में सेवाएं देने का मौका मिला।'
पत्नी भी पुलिस में, 7 वचन के साथ प्रोफेशनल जिंदगी में भी हमकदम
राहुल ने डिंडौरीडॉटनेट को बताया, मेरी पत्नी स्वाति शर्मा शहडोल की हैं। वो 2015 से मप्र पुलिस में उप निरीक्षक हैं। फिलहाल डिंडौरी कोतवाली में पदस्थ हैं। इससे पहले वो विक्रमपुर चौकी प्रभारी भी रह चुकी हैं। उन्होंने हर मुकाम पर मेरा भरपूर साथ दिया है।
राहुल तिवारी की टाइमलाइन
- जन्म स्थान जबलपुर
- इंजीनियरिंग जबलपुर से
- 2016 में सब इंस्पेक्टर बने
- पहली पोस्टिंग डिंडौरी जिले में
- करंजिया, शाहपुर व अमरपुर चौकी प्रभारी रहे
- 14 बार रक्तदान कर चुके हैं
- स्कूलों में जाकर बच्चों को सिखाते हैं ट्रैफिक रूल्स
- दादा स्व. बलराम तिवारी भी पुलिस में थे
- पिता भी वर्तमान में जबलपुर में सेवारत