नौकरी छोड़ शहद बनाने में लगे डिंडौरी के भरत कुशवाहा... भीमशंकर साहू की खबर

मधुमक्खी पालन : कम लागत में ज्यादा कमाई का जरिया, डिंडौरी में भी मौके


डिंडौरी जिले की 70% जमीन पर होती है राई-रामतिला की खेती, जहां मधुमक्खी पालन सबसे बढ़िया


कृषि विज्ञान केंद्र, डिंडौरी के वैज्ञानिक डॉ. सत्येंद्र दे रहे मार्गदर्शन, कहा- यह सर्वोत्तम रोजगार


भीमशंकर साहू | डिंडौरी/मेहंदवानी


नाम भरत कुमार कुशवाहा। निवासी सारसटोली गांव, मेहंदवानी विकासखंड। वर्तमान काम मधुमक्खी पालन। भरत संभवत: डिंडौरी जिले के पहले किसान हैं जिन्होंने मधुमक्खी पालन को बतौर करियर चुना है। वो इससे पहले स्कूल वैन ड्राइवर थे। ड्राइवर रहते उनकी कमाई ठीक-ठाक हो जाती थी। यानि घर भी चल जाता था और खुद के खर्चे भी पूरे हो जाते थे। लेकिन अचानक भरत का मन बदला और वो पिछले पांच साल से जिले के अलग-अलग इलाकों में शहद बना रहे हैं। भरत ने डिंडौरीडॉटनेट को बताया, 'कुछ समय पहले मेरी मुलाकात कृषि वैज्ञानिक डॉ. सत्येंद्र कुमार से हुई। उन्होंने मुझे मधुमक्खी पालन, इससे लाभ, प्रक्रिया, कमाई आदि के बारे में बताया। मुझे यह सैलरी देने वाली नौकरी से अच्छा लगा और मैं तब से ये काम कर रहा हूं।'



डिंडौरी के बाद यूपी व बिहार में भी करेंगे मधुमक्खी पालन


भरत ने कहा, पिछले पांच साल से यह काम करते-करते मुझे समझ में आ गया है कि मधुमक्खी पालन कम लागत में अधिक कमाई का सर्वोत्तम जरिया है। हालांकि इसमें शुरुआती दिनों के खतरे भी हैं। डिंडौरी के बाद बिहार और उत्तरप्रदेश के कुछ स्थानों में जाकर मधुमक्खी पालन करने की योजना है। मेरी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस काम के बारे में जानें। यह न केवल हमारे लिए रोजगार है बल्कि इससे मानव समुदाय और पर्यावरण के लिए भी उपयुक्त व आवश्यक चीजें मिलती हैं। 




सरसों व रामतिल की फसल के आसपास पालें मधुमक्खी


डिंडौरी कृषि विज्ञान केंद्र में वैज्ञानिक डॉ. सत्येंद्र कुमार के मुताबिक मधुमक्खी पालन का काम बहुत आसान और सर्वोत्तम रोजगार विकल्प है। इसकी लागत भी कम है। मधुमक्खियों में एक रानी मधुमक्खी होती है, जो मक्खियों की संख्या बढ़ाती है। दूसरी मधुमक्खियां शहद बनाती हैं। रामतिल और राई की फसल के आसपास मधुमक्खियों के पालन का तरीका काफी आसान है। रामतिल और राई से मधुमक्खियां पराग निकालकर शहद बनाती हैं। नाडिफ की रिपोर्ट के अनुसार रामतिल से प्राप्त होने वाले शहद की क्वालिटी बेस्ट होती है। यही वजह है कि रामतिल कई देशों में एक्सपोर्ट किया जाता है। अभी डिंडौरी जिले में इस बेहतरीन रोजगार विकल्प की जानकारी काफी कम लोगों है। 



मधुमक्खी परिवार


(एक परिवार में एक रानी मक्खी (लाल घेरे में), हजारों कमेरी और 100-200 नर होते हैं।)



रानी मक्खी : यह पूर्ण विकसित मादा और परिवार की जननी है। इसका काम अंडे देना है। अच्छे वातावरण में इटैलियन जाति की रानी एक दिन में 1500-1800 तक अंडे देती है। औसतन उम्र 2-3 वर्ष है।


कमेरी/श्रमिक मक्खी : यह अपूर्ण मादा अंडों, बच्चों का पालन, फलों-पानी के स्रोत पता करना, पराग व रस एकत्र करना, परिवार व छत्तों की देखभाल, शत्रुओं से रक्षा आदि काम करती है। इसकी औसत उम्र लगभग 2-3 महीने होती है।


नर/निखट्टू मधुमक्खी : यह मक्खी रानी से छोटी और कमेरी से बड़ी होती है। रानी के साथ मैटिंग के सिवा ये कोई काम नहीं करती। मैटिंग के तुरंत बाद इनकी मृत्यु हो जाती है। इनकी औसत उम्र 60 दिन होती है।


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