किकरकुंड फॉल... डिंडौरी से 75 किमी दूर स्थित प्राकृतिक स्थल, हर ऋतु में जवां रहती है यहां की फिजा...

डिंडौरी से 75 किलोमीटर दूर घुघरा टोला में स्थित है यह खूबसूरत स्थान


भीमशंकर साहू | डिंडौरी/मेहंदवानी


डिंडौरी जिले के मेहंदवानी विकासखंड के पोषक ग्राम घुघरा टोला में एक ऐसा प्राकृतिक स्थल है, जिसे किकरकुंड कहते हैं। इस कुंड में दनदना नदी के पानी से बनने वाले झरने का सौंदर्य मुख्यत: बारिश के दिनों में अपने चरम पर होता है। प्रकृति की गोद में बसे नैसर्गिक किकरकुंड में प्रत्येक सीजन में झरने वाला प्राकृतिक जलप्रपात है, जिसे किकरकुंड फॉल कहते हैं। यह स्थान जिला मुख्यालय से महज 75 किलोमीटर दूर स्थित है। पीढ़ी-दर-पीढ़ी इस क्षेत्र में निवास कर रहे पुरानी पीढ़ी के बुजुर्ग कहते हैं, किकरकुंड सदियों पहले से प्राकृतिक रूप से विकसित है। यहां तक पहुंचने के लिए मुख्यालय से काफी दूर तक कच्चा-पक्का मार्ग है। खूबसूरत नजारों और जलप्रपात तक आपको पैदल चलकर आना होगा। इस क्षेत्र के बारे में शासन-प्रशासन के काफी लोगों को जानकारी है, लेकिन उनकी तरफ से अब तक ऐसा कुछ भी नहीं किया गया, जिससे इस स्थान का बेहतर प्रचार-प्रसार हो और ज्यादा से ज्यादा लोग इसके बारे में जान सकें।



1-2 किलोमीटर दूर से ही सुन सकते हैं झरने की आवाज


किकरकुंड के चारों ओर का वातावरण नैसर्गिक हरियाली से आच्छादित है। 1-2 किलोमीटर की दूरी से ही झरने की मनोरम आवाज सुनने को मिलती है। आप जैसे ही जलप्रपात के नजदीक पहुंचते हैं, वैसे ही 60-70 फीट ऊंचा और करीब 40 फीट चौड़ा फॉल दूधिया पानी की गुबार से पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है। यहां पहुंचते ही आप यात्रा की सारी थकान भूल जाते हैं।



दनदना नदी के पानी से बनता है झरना, यहां मेले भी लगते हैं


किकरकुंड में झरने के रूप में गिरने वाला पानी दनदना नदी से उत्पन्न होता है। बरसात के दिनों में यहां का नजारा आलीशान और चरम सौंदर्य पर होता है। मकर संक्रांति, आंवला नवमी समेत अन्य पावन अवसरों पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है।  बारिश को छोड़कर अन्य दिनों में यहां काफी संख्या में लोग पिकनिक मनाने आते हैं। जिले के विभिन्न स्कूलों के बच्चों को भी यहां आउटिंग के लिए लाया जाता है। 



झरने के पास सदियों पुराना स्वयंभू शिवलिंग, देवी-देवताओं के निशान


किकरकुंड के आसपास ही प्राचीन मंदिर स्थित है। यहां पर शंकरकुंड (किकरकुंड) से प्रकट हुए भगवान शिव का लिंग भी स्थापित है। ग्राम पंचायत चिरपोटी के ग्रामीण संतोष धुर्वे बताते हैं, यह शिवलिंग कबसे यहां विराजित है, इसका कोई प्रमाण नहीं है। यह काफी प्राचीन स्थल है। हम और हमारे दादा-परादादाओं ने भी इस लिंग के दर्शन किए हैं। यहां पर देवी दुर्गा, हनुमान जी आदि की भी प्राचीन प्रतिमाएं और अन्य देवी-देवताओं के निशान मौजूद हैं। 



तत्कालीन कलेक्टर-कमिश्नर ने पर्यटन स्थल बनाने की पहल की थी 


किकरकुंड जलप्रपात की प्राकृतिक सुंदरता देखने के बाद तत्कालीन कलेक्टर मदन विभीषन व तब के कमिश्नर हीरालाल त्रिवेदी ने यहां पर्यटन स्थल बनाने की पहल की थी। पर आज तक किसी भी प्रकार का कोई विकास यहां नहीं हो सका है। इसके आसपास रैलिंग व अन्य सुरक्षा व्यवस्था न होने से यहां कुछ हादसे भी हो चुके हैं। पूर्व में दो लोगों की फिसलकर गिरने से मौत हो चुकी है। दो लोग कूदकर जान दे चुके हैं।



कैसे पहुंचें किकरकुंड झरने तक..?


बरसात के दिनों में मेहंदवानी से कठौतिया बगली होकर 14 किमी का सफर कर पहुंचा जा सकता है। वहीं, खुले मौसम में कठौतिया से 3 किमी, सरसी से 4 किमी और मेहंदवानी से 5 किमी की दूरी तय कर पहुंचा जा सकता है। 


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