फेस ऑफ डिंडौरी - रामनारायण गौतम, डायरेक्टर/मेंटर - द ब्यूरोक्रेट कोचिंग फॉर आईएएस जबलपुर

आईएएस सिर्फ एक्जाम नहीं, रगों में दौड़ने वाला पैशन है : आरएन गाैतम


डिंडौरी में जन्मे और पले-बढ़े रामनारायण गौतम इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (आईएएस) मेन्स क्वालिफाय हैं, कॉम्पिटीटिव एक्जाम्स पर दर्जन से ज्यादा किताबें लिख चुके हैं, फिलहाल नए आईएएस तैयार कर रहे हैं। रामनारायण यूपीएससी समेत अन्य कॉम्पिटीटिव एक्जाम्स संबंधी कई उपयोगी किताबें लिख चुके हैं। डिंडौरी में बीएससी (मैथ्स) तक पढ़ाई के बाद मंडला के रानी दुर्गावती कॉलेज से कैमिस्ट्री में एमएससी की पढ़ाई की। फिर दिल्ली में रहकर आईएएस की परीक्षा दी। मेन्स क्वालिफाय किया।


डीडीएन रिपोर्टर | डिंडौरी


शिक्षा के क्षेत्र में डेढ़ दशक की सेवाएं दे चुके आरएन गौतम का जन्म मध्यप्रदेश के डिंडौरी में 14 मार्च 1983 को हुआ। साधारण जीवनशैली लेकिन संस्कारवान विचारों के धनी पंडित सूरज प्रसाद गौतम के घर जन्मे चार पुत्रों में ये तीसरे हैं। मां चैनवती देवी गौतम सीधी-सादी हाउसमेकर हैं। पूरी तरह भारतीय आदर्शों का पालन करने वाली आदर्श महिला। आरएन गौतम को परिवार और मानवीय मूल्यों की विरासत सी मिली थी। वो बचपन से ही नैितकता का पाठ पढ़ और समझ चुके थे। एजुकेशन के प्रति उनका विजन काफी सकारात्मक रहा है। इसलिए कम उम्र में ही तय कर लिया था कि जीभर के शिक्षा प्राप्त करनी है और तबीयत से एजुकेशन का प्रचार-प्रसार करना है। अपनी एक ख्वाहिश लेकर और परिवार के सहयोग से करीब 15 बरस पहले अपने होमटाउन डिंडौरी में शिक्षा का प्रकाश फैलाने की नींव रखी और कोचिंग सेंटर की शुरुआत की। खुद मैथ्स के ब्रिलियंट स्टूडेंट रहे इसलिए इससे जुड़े तीनों विषय मैथ्स, फिजिक्स और कैमिस्ट्री पढ़ाने का सिलसिला शुरू किया। दो-चार स्टूडेंट्स से शुरू हुआ कारवां तेजी से बढ़ता गया। उनका मकसद छात्रों की संख्या बढ़ाना कभी नहीं रहा। धीरे-धीरे एजुकेशन के लिए सर्व करने की उनकी चाहत बढ़ती गई और उन्होंने कुछ नया सीखने के लिए दिल्ली की ओर रुख किया। वहां इंडियन एडमिनिस्ट्रेशन की मेन्स परीक्षा पास की। आरएन गौतम कहते हैं, 'आईएएस महज एक एक्जाम नहीं बल्कि रगों में दौड़ने वाला पैशन है। यह परीक्षा भी है और तपस्या भी।'



शिक्षा के क्षेत्र में सेवाएं देने के लिए पिता ने किया प्रेरित


आरएन गौतम ने बताया, 'मेरे पिता स्व. सूरज प्रसाद गौतम का विजन दूरदर्शी था। वो शिक्षा को बहुत महत्व देते थे। उनकी इच्छा थी कि मैं शिक्षा के क्षेत्र में कुछ बड़ा करूं। उन्हीं की प्रेरणा से शुरुआती दिनों में घर पर ही साइंस और कॉमर्स के विषयों के लिए कोचिंग सेंटर की ओपिनंग की। कुछेक स्टूडेंट्स से शुरू हुआ कोचिंग धीरे-धीरे सैकड़ों स्टूडेंट्स से भर गया। कुछ और सीखने-पढ़ने की चाहत में मजबूरन मुझे डिंडौरी से दिल्ली का रुख करना पड़ा। आज जो भी हूं पिता की बदौलत हूं।'




जरूरतमंद स्टूडेंट्स को बिना कोई शुल्क लिए पढ़ाते हैं...


आरएन गौतम ने शिक्षा के क्षेत्र में कदम सिर्फ पैसा कमाने के लिए नहीं रखा है। उनका लक्ष्य है कि उनके माध्यम से ज्यादा से ज्यादा स्टूडेंट्स प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होकर प्रतिष्ठित पदों पर आसीन हो सकें। आरएन गौतम एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहते हैं जिसमें कोई भी अशिक्षत न हो। इसलिए वो अपनी कोचिंग में कई जरूरतमंद स्टूडेंट्स को बिना किसी शुल्क के पढ़ाते हैं। पुराने बैचेस में भी दर्जनों स्टूडेंट्स को आरएन गौतम बिना शुल्क के पढ़ा चुके हैं।



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