- डिंडौरी कलेक्टर Neha Marvya का 8 महीने में ही ट्रांसफर, IAS अंजू लेंगी जगह
- बीजेपी विधायक Omprakash Dhurwey की नाराजगी या भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई वजह ?
- 14 साल के करियर में पहली बार डिंडौरी की कलेक्टर बनीं, 08 महीने में खूब सुर्खियां बटोरीं
डीडीएन रिपोर्टर | डिंडौरी/भोपाल
14 साल के करियर में पहली बार कलेक्टर बनीं नेहा मारव्या का डिंडौरी से ट्रांसफर हो गया है। 29 जनवरी 2025 को कलेक्टर बनीं और 30 सितंबर 2025 (08 महीने) में सीधे भोपाल पहुंच गईं। 2011 बैच की राज्य प्रशासनिक अधिकारी नेहा अब अपर सचिव का पद संभालेंगी। उनकी जगह रायसेन जिला पंचायत सीईओ अंजू पवन भदौरिया (IAS, 2014 बैच) नई कलेक्टर होंगी।
नेहा के तबादले के कयास लंबे समय से लगाए जा रहे थे। खासकर तबसे, जबसे शहपुरा से बीजेपी विधायक ओमप्रकाश धुर्वे ने उनके कामकाज पर तीखे सवाल उठाए। धुर्वे ने कलेक्टोरेट के सामने चिल्ला-चिल्लाकर नेहा को खूब खरी खोटी सुनाई थी। इसी बीच आदिवासियों की जमीन के मामले में राष्ट्रीय जनजातीय आयोग का नोटिस आ गया। ...और अब ट्रांसफर, वो भी अपर सचिव पद पर, कलेक्टर नहीं।
विधायक ने क्यों किया था कलेक्टर का विरोध?
विधायक और पूर्व मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे ने कलेक्टर के कामकाज पर दो कारणों से नाराजगी जताई थी 👇
जनसुनवाई में लापरवाही
19 अगस्त को विधायक धुर्वे जब कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुंचे तो ग्रामीणों के आवेदनों को देखकर गुस्से में आ गए। ग्रामीणों को जनसुनवाई में बार-बार तारीख पर तारीख मिलने से वे बेहद नाराज़ थे।
शिक्षक ट्रांसफर विवाद
विधायक ने जनजातीय कार्य विभाग में कलेक्टर के निर्देश पर बड़े पैमाने पर हुए ट्रांसफर पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा किया था। इन आदेशों के तहत 438 शिक्षकों और 139 हॉस्टल अधीक्षकों का ट्रांसफर प्रभारी सहायक आयुक्त से कराया गया था। विधायक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कलेक्टर की इस कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे।
विधायक के विरोध का दिखने लगा था असर
विधायक के विरोध का असर जल्द ही दिखा, जब 21 अगस्त को जनजातीय कार्य विभाग ने कलेक्टर के सभी ट्रांसफर आदेशों को निरस्त कर दिया। इसके बाद धुर्वे ने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस अपनी ताकत दिखाई और बताई थी। साथ ही शिक्षकों में उनका सम्मान भी किया था।