शहपुरा में खुला डिंडौरी जिले का पहला ‘बच्चों का अपना थाना’ | पुलिस बनी बच्चों की दोस्त, अब थाना कैंपस में मोटू-पतलू और मिकी माउस के साथ खेलेंगे-कूदेंगे-पढ़ेंगे बालमित्र

  • SP संजय सिंह ने बच्चों से ही कराया बालमित्र कक्ष का शुभारंभ, TI अखलेश दाहिया की पहल पर शुरू हुआ बच्चों का पुलिस स्टेशन

  • राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की पहल पर हुई थी देशभर के थाना परिसरों में बालमित्र कक्ष खोलने की शुरुआत



रामकृष्ण गौतम/भीमशंकर साहू | डिंडौरी/शहपुरा


डिंडौरी जिले के शहपुरा में गुरुवार को क्षेत्र के बच्चों और पुलिस के बीच दोस्ती का एक नया रिश्ता बना। टीआई अखलेश दाहिया की सकारात्मक पहल पर एसपी संजय कुमार सिंह ने ‘बच्चों का अपना थाना’ की शुरुआत की। इस अनोखे रिश्ते का मान बढ़ाते हुए शहपुरा विधायक भूपेंद्र सिंह मरावी ने बच्चों को चॉकलेट खिलाकर उनका मुंह मीठा कराया। शहपुरा थाना परिसर में स्थापित बालमित्र कक्ष में पुलिस झिझकने वाले बच्चे अब पुलिसिया छवि से हटकर नया अनुभव ले पाएंगे। रूम में मोटू-पतलू, मिकी माउस, छोटा भीम, निंजा हतोड़ी जैसे लविंग कार्टन कैरेक्टर्स के साथ खेल सकेंगे। दीवारों पर उकेरी गई पसंदीदा कार्टून कैरेक्टर्स की पेंटिंग देखकर निश्चित तौरपर बच्चों को रुटीन से हटकर सीखने को मिलेगा। साथ ही शब्द संसार, वर्ण माला, स्वर माला, गिनती, खड़ी-पहाड़ा आदि की किताबें भी बालमित्र कक्ष में रखी गई हैं। बाहर की दीवार पर भी कार्टून कैरेक्टर्स की पेंटिंग बनी हैं। शहपुरा टीआई अखलेश दाहिया ने डिंडौरीडॉटनेट को बताया कि बालमित्र कक्ष बनाने में एसपी संजय सिंह का निर्देशन रहा। हमने रूम को अपग्रेड किया है। स्कूल खुलते ही पहली से पांचवीं तक के बच्चों को स्कूल से थाने लाकर पुलिस के संपर्क में रखा जाएगा। उन्हें पूरा थाना घुमाया जाएगा। 



पुलिस को दोस्त समझें बच्चे, निडर होकर दें अपराधों की जानकारी  


एसपी संजय सिंह ने कहा कि बच्चे समाज के पहले क्रम के नागरिक हैं। उनकी मानसिकता को सकारात्मक बनाकर समाज में व्याप्त कमियों को आसानी से दूर किया जा सकता है। यही बालमित्र थाना शुरू करने का उद्देश्य है। बच्चे इनोवेटिव तरीके से पुलिस की कार्यवाही से रूबरू हो सकेंगे। उन्हें ‘गुड टच, बैड टच’ सहित आसपास घटित अपराधों की जानकारी प्रदान की जाएगी। साथ ही अपराध से बचने के सुझाव और रोकने के तरीके भी बताए जाएंगे। हमारा प्रयास है कि बच्चे पुलिस को दोस्त समझें और अपराधों की जानकारी भी निडर होकर पुलिस को दे सकें। एसपी ने खुद ही बच्चों को बालमित्र कक्ष का अवलोकन कराया और कहा, बच्चों को पुलिस से डरने की जरूरत नहीं है। बच्चे भी क्राइम रोकने में मजबूत योगदान दे सकते हैं। बस, उन्हें अवस्था के हिसाब से उचित माहौल देने की जरूरत है।




विधायक मरावी ने चॉकलेट खिलाकर बच्चों का मुंह मीठा कराया


बच्चों के थाने की शुरुआत जनप्रतिधियाें और प्रशासनिक व पुलिस अफसरों की मौजूदगी के बीच हुई। शहपुरा विधायक भूपेंद्र सिंह मरावी ने बच्चों को चॉकलेट खिलाकर मुंह मीठा कराया। उन्होंने एसपी संजय सिंह और थाना प्रभारी अखलेश दाहिया के प्रयासों को बच्चों और समाज के लिए हितकर बताया। कहा कि इससे बच्चों की मानसिकता में सकारात्मक बदलाव आएगा। कार्यक्रम में शहपुरा नगर परिषद अध्यक्ष राजेश गुप्ता, एसडीएम अंजू अरुण कुमार, एसडीओपी लोकेश कुमार मार्को, प्रभारी तहसीलदार अमृतलाल धुर्वे, भाजपा जिला महामंत्री ज्ञानदीप त्रिपाठी सहित बच्चे व पैरेंट्स भी मौजूद थे। 



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राजगढ़ के नरसिंहगढ़ में खुला था प्रदेश का पहला बालमित्र कक्ष


राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की पहल पर देशभर में थाना परिसरों में बालमित्र कक्ष खोलने की शुरुआत हुई थी। प्रदेश में पहला थाना दिसंबर 2017 में राजगढ़ के नरसिंहगढ़ में शुरू हुआ। भोपाल के एमपी नगर और बैरागढ़ थाने में भी बालमित्र कक्ष खुल चुके हैं। स्कूल और घर के अलावा बच्चों को पुलिस थाने में खुशनुमा माहौल देने के लिए थानों को प्ले स्कूल की तरह बनाया जाता है। थाने के एक पुलिसकर्मी को जिम्मेदारी दी जाती है। वह थाने में आए बच्चों और परिजनों का रिकॉर्ड रखते हैं। बालमित्र कक्ष में खाने-पीने की सामग्री सहित खिलौने भी उपलब्ध होते हैं।



रंग-बिरंगे पोस्टर, स्वच्छ शौचालय और आराम करने की भी व्यवस्था


बालमित्र कक्ष में बच्चों के हिसाब से बैठने की व्यवस्था होती है। दीवारों पर पंसदीदा कार्टून कैरेक्टर्स, रंग-बिरंगे पोस्टर सहित किताबें, कॉमिक्स, पीने का साफ पानी, शौचालय, आराम की व्यवस्था भी रहती है। वहीं, बच्चियों से बात करने के लिए महिला पुलिसकर्मी मौजूद होती हैं। थाने में बच्चों की गतिविधियों पर सीसीटीवी से निगरानी की जाती है ताकि उनका व्यवहार समझा जा सके। डिस्पले बोर्ड पर बाल कल्याण और संरक्षण विभाग सहित चाइल्ड हेल्पलाइन, जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड, बाल कल्याण समिति आदि के महत्वपूर्ण अधिकारियों के कॉन्टैक्ट नंबर लिखे होते हैं। 


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