DDN EXCLUSIVE | डिंडौरी की नई असिस्टेंट कलेक्टर होंगी भोपाल की यूपीएससी टॉपर आईएएस सृष्टि देशमुख, 2019 में महिला बैच में किया था टॉप

  • डिजिटल डिंडौरी के पहले ग्लोबल प्लेटफॉर्म डिंडौरीडॉटनेट में पढ़िए AIR-05 हासिल करने वाली सृष्टि देशमुख का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू 

  • लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी में पहले चरण की ट्रेनिंग पूरी कर पहली पोस्टिंग के रूप में सृष्टि को मिला डिंडौरी जिला


राम के. गौतम | डिंडौरी


भोपाल से 2019 में महिला बैच में टॉपर और ऑल इंडिया स्तर पर 5वीं रैंक हासिल करने वाली आईएएस सृष्टि जयंत देशमुख अब डिंडौरी की असिस्टेंट कलेक्टर होंगी। वो ट्रेनिंग के लिए डिंडौरी कलेक्टर बी. कार्तिकेयन को असिस्ट करने के लिए उत्साहित हैं। राज्य सरकार ने सृष्टि समेत 09 अन्य आईएएस ऑफिसर्स को विभिन्न जिलों में असिस्टेंट कलेक्टर का प्रभार सौंपा है। उन्होंने हाल ही में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी में पहले चरण की ट्रेनिंग पूरी की है। लिहाजा डिंडौरी सृष्टि की पदस्थापना का पहला जिला है। सृष्टि ने भोपाल के कार्मल कॉन्वेंट स्कूल से स्कूलिंग और लक्ष्मी नारायण कॉलेज ऑफ टेक्नाेलॉजी से कैमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। उनके पिता जयंत देशमुख इंजीनियर और मां सुनीता देशमुख टीचर हैं। भाई अथर्व 9वीं के छात्र हैं। सृष्टि ने मंगलवार को डिंडौरीडॉटनेट से खास बातचीत में यूपीएससी की तैयारी और उससे जुड़े सफर के बारे में बातचीत की। डिंडौरीडॉटनेट पर पढ़िए सृष्टि की सफलता की कहानी, उन्हीं की जुबानी...



2018 में कैमिकल इंजीनियर बनीं, 2019 में फर्स्ट अटैंप्ट में पास किया IAS एक्जाम


सृष्टि ने बताया, मैंने  2018 में कैमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और  2019 में पहले ही प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास की। मेरे दिमाग में आईएएस बनने की धुन इस कदर हावी थी कि मैंने कॉलेज के दौरान किसी भी कैंपस प्लेसमेंट में हिस्सा नहीं लिया, न ही कभी सीवी तैयार किया। किसी कंपनी को एप्रोच नहीं किया, क्योंकि मन में ठान रखा था कि प्लेसमेंट नहीं चाहिए। मैं लगातार तैयारी करती चली गई और सफल हुई। जब आप तैयारी शुरू करते हैं तो कई आंकड़े सामने आते हैं। मैंने टेस्ट सीरीज में पढ़ा था कि मप्र में 15 से 30 हजार स्कूल ऐसे हैं, जहां सभी बच्चों पर सिर्फ एक टीचर है। यह बात मेरे दिमाग में घर कर गई। मैंने सोचा कि इस स्थिति को बदलने के लिए खुद क्या कर सकती हूं। यहीं से मोटिवेशन मिला। इंजीनियरिंग चुनी ताकि बैकअप तैयार रहे।



पहले ही तय कर लिया था कि मुझे मध्यप्रदेश कैडर लेना है, आज मिल भी गया


सृष्टि ने कहा, ज्यादातर लोग सिविल सर्विसेस एक्जाम की तैयारी के लिए दिल्ली का रुख करते हैं। मैंने सोचा कि जब कॉलेज की पढ़ाई भोपाल से की तो तैयारी भी यहीं से करूंगी। इस दौरान कभी स्टडी मटेरियल नहीं मिला तो कहीं कोचिंग क्लास नहीं मिली। मुझे इंटरनेट से काफी मदद मिली। नॉलेज, टेस्ट सीरिज, क्लासेस... सबकुछ इंटरनेट पर उपलब्ध है। मैंने मप्र कैडर का प्रिफरेंस भरा था। जो रैंक आई थी उससे मप्र कैडर में ही आईएएस अफसर बनने के रास्ते साफ हो गए थे। इंटरनेट दोधारी तलवार है। मैंने सोशल नेटवर्किंग साइट्स से खुद को दूर रखा। वॉट्सएप, फेसबुक, टि्वटर बगैरह बंद कर दिया। फ्रेंड्स से नहीं मिलती थी, किसी पार्टी में नहीं जाती थी। दोस्त ताने भी मारते थे कि मैं सोशली कट रही हूं, लेकिन मन में लगता था- आज पढ़ लूंगी तो शायद कुछ अच्छा कर पाऊं। आज नतीजा सबके सामने है।



यूपीएससी एक्जाम की तैयारी का तरीका : परीक्षा के लिए बहुत सब्जेक्ट होते हैं, अलग-अलग किताबें पढ़नी होती हैं। लेकिन मैंने हमेशा यूपीएससी सिलेबस में दिए विषयों के आधार पर तैयारी की। पिछले वर्षों के प्रश्न पत्र पढ़ती रही, ताकि पता चले कि किस तरह के सवाल पूछे जाते हैं। इन सबसे समय पर जवाब लिखने का अच्छा अभ्यास भी हुआ। इस परीक्षा में केमिस्ट्री होती है, केमिकल इंजीनियरिंग नहीं, इसलिए मैंने सोश्योलॉजी को एक विषय के तौर पर चुना। 


इंटरव्यू में पूछे गए सवाल और सृष्टि का जवाब 



  • सवाल : इतनी यंग हो, तो क्या चैलेंजेस हो सकते हैं और उन्हें कैसे फेस करेंगी? 

  • जवाब : यंग हूं, लड़की हूं तो शायद अपने फैसलों को मनवाना मेरे लिए चुनौतीपूर्ण होगा, लेकिन मैं उस पर होमवर्क करूंगी। बतौर सिविल सर्विसेंट मेरा फोकस स्कूल और शिक्षा पर होगा। महिला सशक्तीकरण पर भी काम करूंगी, क्योंकि जब एक महिला सशक्त होती है तो परिवार और कई पीढ़ियां संवर जाती हैं। 


सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जारी आदेश की कॉपी



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