22 वर्ष का हुआ डिंडौरी | मां रेवा की गोद में बसा आदिवासी बाहुल्य जिला, जिसे IAS मदन कुमार 'भारत का स्विट्जरलैंड' कहते हैं

  • डिंडौरी के 23वें स्थापना दिवस पर जिले के 13वें कलेक्टर रहे IAS ऑफिसर मदन नागरगोजे से डिंडौरीडॉटनेट की विशेष बातचीत

  • 25 मई 1998 को मंडला से अलग होकर स्वतंत्र जिला बना डिंडौरी, इसके 927 गांवों में से 899 गांवों में रहते हैं राष्ट्रीय मानव 



रामकृष्ण गौतम/भीमशंकर साहू | डिंडौरी


'मेरी नजर में डिंडौरी सबसे सुंदर जिला है। इसकी खूबसूरती बेमिसाल है। लिहाजा इसे भारत का स्विट्जरलैंड कहा जा सकता है। डिंडौरी जिले में वो सारी खूबियां हैं, जो इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट बना सकती हैं। कलेक्टर रहते हुए मैंने डिंडौरी की सुंदरता को दिल की गहराई तक महसूस किया है। यहां आदिम युग का संपन्न इतिहास और खुशियों का खजाना छिपा हुआ है। साथ ही शोध छात्रों के लिए भी काफी कुछ है।' यह कहना है डिंडौरी के पूर्व कलेक्टर IAS मदन नागरगोजे (मदन कुमार) का। उन्होंने डिंडौरी जिले की स्थापना के 22 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में डिंडौरीडॉटनेट से विशेष बातचीत की। वे 13 जुलाई 2012 से 31 मई 2013 तक जिले के कलेक्टर थे। 13वें कलेक्टर के रूप में आए IAS नागरगोजे मदन डिंडौरी को स्वर्ग सा सुंदर जिला कहते हैं।



संसार की सुंदरता को समेटे डिंडाैरी से कुदरत का खास लगाव


2007 बैच के मप्र कैडर के IAS मदन कुमार कहते हैं, डिंडौरी में पूरी दुनिया की सुंदरता सिमटी हुई है। इसकी हरीभरी वादियां और समृद्ध लोक परंपरा देखकर ऐसा लगता है जैसे कुदरत को इससे विशेष लगाव है। जिले में कई ऐतिहासिक व आध्यात्मिक स्थानों का अनूठा संग्रह है। लक्ष्मण मड़वा, कुकर्रामठ, कलचुरी कालीन मंदिर आदि इसकी धरोहर रूपी संपन्नता का परिचय देते हैं। शहपुरा तहसील मुख्यालय से 14 किमी दूर घुघुवा जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान स्थित है। इसका भारत में एक अलग स्थान है। यह स्थान लाखों वर्ष पुराने जीवाश्मों के अनमोल ख़जाने से समृद्ध है। यहां 18 संयंत्र परिवार की 31 पीढ़ी में से संबंधित जीवाश्मों की पहचान हुई है। यह जीवाश्म 66 लाख साल पहले क्षेत्र में फैले जीवन का प्रतिनिधित्व करते हैं। यहां पर पौधों, पर्वतरोही, पत्ते, फूल, फल और बीजों के जीवाश्म संरक्षित हैं। 



डिंडौरी की अद्वितीय प्राकृतिक संरचना पर मेरी व्यक्तिगत रुचि


जिले के पूर्व कलेक्टर ने कहा, डिंडौरी की प्राकृतिक संरचना और सुंदरता पर प्रशासनिक अधिकारी की दृष्टि से अलग मेरी व्यक्तिगत रुचि भी है। मैं एक आम इंसान के रूप में इसकी बेमिसाल धरोहरों का कायल हूं। मेरी राय में यहां ऐतिहासिक रूप से विकास की अभूतपूर्व संभावनाएं हैं। डिंडौरी जिला जैव-विविधताओं से संपन्न क्षेत्र है। जिले के कई स्थानाें में दुर्लभ आयुर्वेदिक औषधियां पाई जाती हैं। इसका एक बड़ा कारण है यहां निवास करने वाले आदिवासी, जो औषधियों की पहचान कर इनसे असाध्य रोगों के उपचार के लिए दवाइयां बनाते हैं। उनकी प्राचीन कुशल चिकित्सा पद्धति आज भी जनसमूह को लाभान्वित करती है। जनताजीय लोग प्राचीन चिकित्सा पद्धति में निपुण हैं। उनकी वजह से ही जिले में चिकित्सा पर्यटन का अस्तित्व बचा हुआ है। जिले के आदिवासियों में औषधीय जड़ी-बूटियों का पारंपरिक ज्ञान है।  


आइए, अपने डिंडौरी जिले को करीब से जानते हैं...


डिंडौरी जबलपुर संभाग का एक हिस्सा है। यह मध्यप्रदेश के पूर्वी भाग में छत्तीसगढ़ की सीमा से लगा हुआ है। जिले की सीमा पूर्व में शहडोल, पश्चिम में मंडला, उत्तर में उमरिया और दक्षिण में बिलासपुर से लगी है। डिंडौरी से करीब 85 किलाेमीटर दूर मां रेवा का उद्गम स्थल अमरकंटक और करीब 100 किलाेमीटर की दूरी पर मंडला स्थित है। डिंडौरी 25 मई 1998 को मंडला से ही अलग होकर स्वतंत्र जिला बना था। यह मेकल पर्वत माला पर स्थित है। कलेक्टोरेट के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक जिले में कुल 927 गांव  हैं। इनमें से 899 गांवों में बैगा जनजाति के लोग निवास करते हैं। जिले में डिंडौरी, शाहपुरा, मेहंदवानी, अमरपुर, बजाग, करंजिया और समनापुर ब्लॉक है। 2011 के आंकड़ों के मुताबिक डिंडौरी में लिंगानुपात, 1000 पुरुषों के मुकाबले 1004 महिलाएं हैं। यहां की साक्षरता दर 65.47 प्रतिशत है। 



IAS मदन नागरगोजे का परिचय : 04 जून 1983 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में जन्मे मदन नागरगोजे 2007 बैच के IAS ऑफिसर हैं। उन्होंने कोल्हापुर यूनिवर्सिटी से BE (कंप्यूटर साइंस) की डिग्री हासिल की है। मदन कुमार जिले की सुंदरता से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने नई दिल्ली की डॉक्टर प्रियंका घोष  (मृगनयनी) के साथ मिलकर डिंडौरी पर कई बुक्स का लेखन भी किया है। सभी किताबें किंडल बुक रूप में अमेजन और गूगल बुक्स समेत विभिन्न प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं। इनमें प्रमुख रूप से Dindori Man: Natural History of Ghodamada stone age Cave और Discovery of Dinosaurs Fossils and Natural History of Dindori बुक शामिल हैं।


 


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