नरबदिया, हमें तुम पर नाज है...

मेरे साथ कुदरत ने अन्याय किया पर मैं खुद से हमेशा न्याय करती हूं : नरबदिया


दुनिया के लिए मिसाल पेश कर रहीं डिंडौरी के खन्नात की रहने वाली जन्म से दिव्यांग आर्टिस्ट नरबदिया आर्मो


डीडीएन रिपोर्टर | डिंडौरी


'तकदीर के खेल से निराश नहीं होते, जिंदगी में ऐसे कभी उदास नहीं होते, हाथों की लकीरों पर क्यों भरोसा करते हो, तकदीर उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते...' ये पंक्तियां जब कवि ने लिखी होंगीं तब उन्हें एहसास भी नहीं हुआ हाेगा कि यह कैसे और किस पर चरितार्थ होंगी। आज दुनियाभर में ऐसे कई दुर्लभ उदाहरण मौजूद हैं, जिन पर ये पंक्तियां बिल्कुल सटीक बैठती हैं। उन्हीं दुर्लभतम लोगों में से एक हैं डिंडौरी जिले के खन्नात गांव की 33 वर्षीय दिव्यांग आर्टिस्ट नरबदिया बाई आर्मो। नरबदिया जन्म से ही दिव्यांग हैं। ईश्वर द्वारा छोड़ी कमी को नरबदिया आज मुस्कुराकर पूरी कर रही हैं। आज उनकी गिनती ऐसे कलाकारों में हो रही है, जो तमाम कमियों के बावजूद अपनी कला का लाेहा मनवा चुकी हैं। वह जबड़े में पेंटिंग ब्रश दबाकर ऐसी बेमिसाल चित्रकारी करती हैं कि कोई कंप्लीट बॉडी ह्यूमन भी ऐसा नहीं कर पाए। उनकी बनाई पेंटिंग्स दुर्लभतम और परंपरागत कला को प्रदर्शित करती है। नरबदिया दिव्यांग जरूर हैं लेकिन भरण-पोषण के लिए परिवार पर जरा भी निर्भर नहीं है। डिंडौरीडॉटनेट के इस अंक में जानते हैं नरबदिया की अद्भुुत कलाकारी के बारे में...



बिना हाथों के लिख डाली अपनी तकदीर


डिंडौरी के करंजिया विकासखंड के ग्राम पंचायत खन्नात के नर्मदा टोला की रहने वाली नरबदिया आर्मो जन्म से ही दिव्यांग हैं। अपनी तमाम कमियों को धता बताते हुए वह अब तक वह हजारों पेंटिंग बना चुकी हैं। नरबदिया के पिता संपत लाल आर्मो का निधन हो चुका है। नरबदिया के दो भाई हैं। उन्हें कहीं आने-जाने के लिए भाइयों या मां की मदद लेना पड़ती है। उन्हें दिव्यांग पेंशन के रूप में सरकार से हर महीने डेढ़ सौ रुपए मिलते हैं। इस रकम से गुजारा नहीं हो पाता लिहाजा उन्होंने चित्रकला को जीविका का जरिया बनाया। नरबदिया बाई हाथों की जगह मुंह में ब्रश दबाकर दीवारों और कैनवास पर बेमिसाल चित्रकारी करती हैं। वो ट्राइबल आर्ट के साथ रानी दुर्गावती, महात्मा गांधी आदि समेत अन्य तरह की पेंटिंग्स बनाती हैं। उनके चित्रों में खुशहाल जीवन की जिंदादिल झांकी स्पष्ट नजर आती है। पहले ज्यादा समय लगता था लेकिन अब उन्हें इतनी महारत हासिल हो गई है कि अब मिनटों में ही पेंटिंग्स बना लेती हैं।


डिंडौरी कलेक्टर और शहपुरा विधायक मरावी ने खरीदीं पेंटिंग्स


अभी हाल ही में नरबदिया बाई की बनाई पेंटिंग डिंडौरी कलेक्टर बी. कार्तिकेयन और शहपुरा विधायक भूपेंद्र सिंह मरावी ने खरीदी हैं। उन्होंने नरबदिया की कला को जमकर सराहा और सरकार की ओर से हर संभव मदद की बात कही है। नरबदिया को कम उम्र से ही पेंटिंग्स बनाने का शौक था। उन्होंने अपनी कमी को ताकत बनाते हुए चित्रकारी के शौक को एक बड़ा रूप दिया और पेंटिंग्स बनाने में महारत हासिल की। उनकी सैकड़ों पेंटिंग्स आजीविका केंद्र डिंडौरी में विक्रय के लिए रखी हैं। हाल ही में विश्व आदिवासी दिवस पर उनकी पेंटिंग आजीविका परियोजना विभाग की ओर से उत्कृष्ट स्कूल मैदान में भी प्रदर्शित की गई थीं।


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