रक्षाबंधन और स्वतंत्रता दिवस विशेष...




राखी : सूनी कलाई पर बहना का प्यार आया है


डीडीएन रिपोर्टर | डिंडौरी


आज हम देश की आजादी की 73वीं सालगिरह के जश्न के साथ रक्षाबंधन का त्योहार भी मनाएंगे एक तरफ देशप्रेम की पुरजोर भावना का खास दिन है तो दूसरी ओर भाई-बहन के अटूट रिश्ते, प्यार, त्याग, समर्पण का विशेष अवसर। यह अद्भुत संयोग है कि रक्षाबंधन और स्वतंत्रता दिवस एक ही दिन मनाया जा रहा है। इसका उत्सव डिंडौरीडॉटनेट शहर के उन भाई-बहनों के साथ मना रहा है, जो एक-दूसरे के लिए न केवल भाई-बहन बल्कि दोस्त, हमदर्द, माता-पिता और न जाने कितने भावनात्मक रिश्ते निभाते हैं...




सबसे पहले. ..उस बहन को सलाम, जिसने भाई को बचाने के लिए अपना लिवर दे दिया...

डिंडौरी के पाठक परिवार की बड़ी बेटी जाह्ववी दुबे ने बीते दिनों 15 साल छोटे भाई जयेंद्र (जीतू) को लिवर डोनेट किया है। 
जीतू के लिवर करीब 90% डैमेज हो चुके थे। तब उनके बचने की कोई संभावना नहीं थी। ऐसे में जाह्नवी ने तय किया कि वो
अपने जिगर के टुकड़े को खुद लिवर डोनेट करेंगी। उन्होंने ऐसा किया भी। ऑपरेशन सफल रहा। जीतू मौत के मुंह से बाहर आ गए।
तेजी से रिकवर करने लगे, लेकिन कुदरत काे कुछ और ही मंजूर था और जीतू ने महीनेभर के भीतर दम तोड़ दिया।
शायद होनी को यही गवारा था, मगर जाह्नवी ने जो त्याग अपने भाई के लिए किया वह असाधारण और मानवता के लिए मिसाल है।
भाई-बहन का ऐसा प्रेम इस दुनिया में अतिदुर्लभ है। जाह्नवी आपको लाखों सलाम..।


हर साल बेशुमार राखियों से सजती है मेरी कलाई


डिंडौरी के यंग बिजनेसमैन अौर बीजेपी के एक्टिव मेंबर पवन शर्मा के लिए भाई-बहन का रिश्ता कई मायनांे में खास महत्व रखता है। उन्हाेंने कहा, ईश्वर ने मुझे भले ही एक मां की काेख से जन्मी बहन का भाई नहीं बनने दिया लेकिन नागपुर में रहने वाली सोनल व शीतल पाराशर समेत डिंडौरी में मेघा, शिवानी, सोनम और मुस्कान शर्मा ने कभी बहन की कमी महसूस नहीं होने दी। हर साल रक्षाबंधन में मेरी कलाई पर बेशुमार राखियां राज करती हैं। मेरी नजर में बहनें सगी या पराई नहीं होतीं, वो प्यार, अपनापन और समर्पण के साथ रिश्ता निभाने वाली इंसान होती हैं। बहन कुदरत का एक ऐसा अनमोल उपहार है, जो हमें अक्सर साहस और आत्मविश्वास के साथ जीना सिखाती हैं।


- पवन शर्मा (को-ओनर, नीलम ग्रुप ऑफ होटल्स एंड कैटरर्स, युवा भाजपा कार्यकर्ता)


वह उम्र में छोटी है लेकिन कभी मां कभी दोस्त भी बन जाती है


मेरे जीवन में पांच बहनों का प्यार है। एक बहन है, जिसकी डांट खाए बिना जीने में स्वाद नहीं आता। हम सभी भाइयों में वो सबसे बड़ी है। उसका नाम रानी है। जैसा नाम वैसा काम। वह सब पर राज करती है। घर पर ऐसा कोई नहीं जो उसकी डांट से बचा हो। हम संयुक्त परिवार में रहते हैं। हम नौ भाइयों के बीच पांच बहनें हैं। मेरे जीवन में अगर किसी बहन की अहम भूमिका है तो वो है मेरी छोटी बहन मंदाकिनी। उसकी शादी महाराष्ट्र के चालीसगांव में गुप्ता परिवार में हुई है। उसने हर वक्त मुझे भरपूर प्यार और साथ दिया। जीवन के विभिन्न पड़ावों में उसने कभी छोटी तो कभी बड़ी बनकर मेरा साथ निभाया है। वह कभी ममतामयी मां की भूमिका निभाती है तो कभी दोस्त बनकर मेरा दर्द बांटती है। इस बार की राखी हम साथ मना रहे हैं।


- अवध राज बिलैया (बिजनेसमैन, बिलैया हार्डवेयर, भाजपा कार्यकर्ता)


मां के चले जाने के बाद बहनों ने संभाला हम पर लुटाई ममता


मेरी दो बहनें हैं। बड़ी स्वाति और छोटी प्रतिमा। जब बच्चे थे तब एक-दूसरे से लड़ना-झगड़ना, रूठना-मनाना, हंसना-रुलाना लगा रहता था, लेकिन जून 2004 में मां के स्वर्गवास के बाद एक झटके में जिंदगी बदल गई। उस वक्त लगा कि जैसे हम एकदम से बड़े हो गए। घर की जिम्मेदारियां बढ़ने लगीं। मम्मी की कमी हर पल सताती रही। कुछ वक्त बाद बहनों ने घर को संभालना शुरू किया। इतने बड़े दुख से उन्होंने खुद को निकाला और हम दोनों भाइयों मुझे और अनुराग को साहस दिया। भाई और बहन का रिश्ता कब मां-बेटे के रिश्ते में बदल गया, पता ही नहीं चला। बहनों ने व्यक्तिगत इच्छाओं की परवाह किए बिना हम पर जीभरकर प्यार और ममता लुटाई। हमारे परिवार की वर्तमान सुदृढ़ स्थिति में बहनों की भूमिका मां से किसी भी रूप में कम नहीं है।


- पीयूष द्विवेदी (संचालक, डिंडौरी पब्लिक स्कूल, डीपीएस)


काश, वो दिन फिर लौट आएं हम फिर बचपन में खो जाएं


बचपन की यादें बचपन की बातें खूब सताती हैं मुझको


बहनों से लड़ना और खेलना खूब रास आता था मुझको


थम सा गया वो खेल सारा जब बहन चली गई ससुराल को


आंखों में आंसू और बहुत सी यादें सौंप गई थी वो मुझको


आज रक्षाबंधन का दिन है बहन तो है ससुराल में


सूनी-सूनी देख कलाई अपनी आंसू हैं मेरी आँखों में


बहन का राखी बांधना तोहफे के लिए लड़ना हर दृश्य है मेरी आंखों में


यकीनन सोच-सोच बहन भी आंसू डबडबा रही होगी ससुराल में


हर तीज और त्योहार सूने से हैं बहन तेरे अभाव में


जो हो तू साथ तो हर खुशी दूनी हो जाती है तेरे प्रभाव में


पिता के घर आंगन की फुलवारी तुझसे ही महकती थी


तू उनके दिल की धड़कन और मां की आंखों की बाती थी


घर में कुछ आए और तेरा बराबर से सब भाई-बहनों में बांटना


मैंने तुझसे ही सीखा था सभी लोगों का ख्याल रखना


काश कि वो दिन फिर लौट आएं हम फिर बचपन में खो जाएं


छोड़ जवानी की भाग दौड़ हम फिर एक-दूजे में खो जाएं


सोचता हूं वो दिन कितने अच्छे थे जब हम छोटे से बच्चे थे


हर एक दिल सच्चा था न कोई झूठ न कोई फरेब के धंधे थे


एक-दूसरे से लड़ना-झगड़ना और मनाना हम जानते थे


'राज' बात-बात पर कट्टी और दोस्ती करना हम जानते थे


- शहर के यंग स्पोट् र्समैन, कवि, लेखक और फिल्मकार रवि राज बिलैया ने अपनी बहनों के प्रति कविता के जरिए भावनाएं व्यक्त कीं


19 साल बाद फिर राखी-आजादी का जश्न एकसाथ, इसके बाद 2084 में आएगा दुर्लभ संयोग


19 साल बाद रक्षाबंधन पर्व और स्वतंत्रता दिवस एक ही दिन मनाने का योग बन रहा है। इससे पहले यह संयोग 2000 में बना था। इसके बाद 2084 यानि 65 साल बाद यह दुर्लभ दिवस आएगा। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार आज चंद्र प्रधान श्रवण नक्षत्र का योग है। इसी वजह से भारत के दो बड़े और महत्पवूर्ण दिन साथ-साथ पड़ रहे हैं। इस साल अच्छी बात यह है कि 15 अगस्त को भद्रा नक्षत्र सूर्योदय से पहले ही खत्म हो जाएगी, इसलिए बहनें निश्चिंत होकर दिनभर में किसी भी समय भाइयों की कलाई पर रक्षाबंधन बांध सकती हैं। स्वतंत्रता दिवस हम भारतवासियों की राष्ट्रीय अस्मिता का राष्ट्रव्यापी उत्सव है, वहीं रक्षाबंधन भाई-बहन के बेमिसाल और अटूट रिश्ते का प्रतीक है।


ज्योतिषी बता रहे हैं... आज राखी बांधने का सही समय


इस बार बहनों को भाई की कलाई पर प्यार की डोर बांधने के लिए मुहूर्त का इंतजार नहीं करना पड़ेगा क्योंकि आज राखी बांधने के लिए काफी लंबा मुहूर्त मिलेगा। 15 अगस्त की सुबह 5 बजकर 49 मिनट से शाम 6 बजकर 01 मिनट तक राखी बांधी जा सकेंगी। इसके लिए 12 घंटे 58 मिनट का समय मिलेगा। शुभ मुहूर्त दोपहर साढ़े तीन घंटे तक रहेगा। चंद्र प्रधान श्रवण नक्षत्र का संयोग बहुत विशेष रहेगा। इसी की वजह से ही रक्षाबंधन और स्वतंत्रता दिवस साथ पड़ रहे हैं। आज सिद्धि योग भी बनेगा, जिससे पर्व की महत्ता और भी बढ़ेगी। अरविंद जयंती, मदर टेरेसा जयंती और संस्कृत दिवस भी आज ही है।


आज के मुहूर्त


शुभ : सुबह 06:02 से 07:39 बजे, चंचल : सुबह 10:53 से दोपहर 12:30 बजे, लाभ : दोपहर 12:30 से 02:07 बजे, अमृत : दोपहर 02:07 से 03:44 बजे, शुभ : शाम 05:21 से 07:01 बजे, अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12:07 से 12:55 बजे।









 




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