डिंडौरी | गांधी चौक स्थित 36 साल पुराना श्रीराधा-कृष्ण मंदिर उपेक्षा का शिकार, कलेक्टर बी. कार्तिकेयन से शिकायत करेंगे स्थानीय रहवासी

  • 1956 में स्थापित की गई राधा और श्रीकृष्ण की मूर्ति, 1984 में कराया गया मंदिर का निर्माण

  • वार्डवासियों ने कहा : ट्रस्ट में पहले 05 पंच थे, जो अब नहीं रहे; नई कमेटी नहीं देती ध्यान 



डीडीएन रिपोर्टर | डिंडौरी


डिंडौरी में गांधी चौक स्थित 36 साल पुराना श्रीराधा-कृष्ण मंदिर वर्तमान में अपनी हालत पर आंसू बहा रहा है। मंदिर की जर्जर हालत के लिए वार्डवासियों ने ट्रस्ट को दोषी ठहराया है। उनका कहना है कि करोड़ों की प्रॉपर्टी होने के बावजूद ट्रस्ट की ओर से मंदिर की दुर्दशा पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। स्थानीय लोगों में तेजी से रोष उपज रहा है और वह अब विशाल मंदिर निर्माण के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बुधवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी जैसे पावन अवसर पर भी ट्रस्ट ने कोई तैयारियां नहीं कीं। न ही समय रहते मंदिर की मरम्मत और रंगाई-पुताई पर ध्यान दिया गया। जबकि मंदिर ट्रस्ट को सालाना दुकानों के माध्यम से लाखों रुपए का भुगतान मिलता है। वार्डवासी शिकायत लेकर कलेक्टर बी. कार्तिकेयन काे लिखित आवेदन देने की तैयारी कर रहे हैं।



बारिश में टपकने लगी मंदिर की छत, कॉर्नर्स और गुंबद भी जर्जर


वार्डवासियों के अनुसार मंदिर में साल 1955-56 में राधारानी और भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित की गई थी। फिर 1984 में बढ़ती आबादी और भक्तों की मांग पर मंदिर का निर्माण कार्य कराया गया। तब से आज तक मंदिर की हालत जस की तस है। बारिश में मंदिर की छत टपकने लगी है। कॉर्नर्स और गुंबद की हालत भी जर्जर हो चुकी है। कार्यकारिणी की ओर से मंदिर की मरम्मत-रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया जाता। वहीं, बीते साल से सिर्फ झूठा आश्वाशन दिया जा रहा है कि मंदिर का निर्माण जल्द कराया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि मंदिर ट्रस्ट के पास करोड़ों की संपत्ति है, जिसमें नगर के हृदय स्थल में मुख्य मार्ग पर पुरानी नीलम होटल, मनोहर बूट हाउस सहित अन्य दुकानें-मकान आदि शामिल हैं। इसका एनुअल रेंट करीब 05 लाख रुपए प्राप्त होता है।


इधर, कोषाध्यक्ष बोले- हम मंदिर निर्माण के लिए पूरी तरह तैयार


मंदिर के कोषाध्यक्ष बद्री प्रसाद बिलैया ने कहा कि वह भगवान श्रीकृष्ण के भव्य मंदिर निर्माण को लेकर पूरी तरह तैयार हैं। हालांकि इसके लिए किसी एक व्यक्ति पर दबाव डालना उचित नहीं। वह नई समिति के गठन के पक्ष में हैं, जिसमें जिले के जिम्मेदार व जवाबदार नागरिक सदस्यता लें और विचार-विमर्श कर मंदिर निर्माण में सहभागी बनें। उन्होंने मरम्मत की बात पर कहा कि जब मंदिर का निर्माण ही किया जाना है तो मरम्मत में अनावश्यक समय-रुपए और ऊर्जा क्यों खर्च करना! आय-व्यय के मसले पर बद्री प्रसाद बिलैया बोले कि उनके पास 1984 से अभी तक का ब्योरा मौजूद है। वह वार्डवासियों को हिसाब देने के लिए तैयार हैं। फिलहाल कोरोना संकट के कारण मंदिर में विशेष व्यवस्थाएं नहीं की जा सकीं, फिर भी जन्मोत्सव पर वह मंदिर जरूर गए थे। 



वार्डवासियों ने लगाए नई समिति पर गंभीर आरोप


वार्डवासी तुलसीराम साहू ने बताया, मंदिर ट्रस्ट में पहले 05 पंच थे, जो अब दुनिया में नहीं रहे। उनके बाद बनी नई कमेटी किसी काम की नहीं, न ही समिति का कोई रजिस्ट्रेशन है। ट्रस्ट के पास काफी प्रॉपर्टी है, इसके बावज़ूद मंदिर के रखरखाव के लिए कुछ भी काम नहीं कराया जाता। साथ ही कोई हिसाब-किताब भी नहीं दिया जाता। इन्हें अलग कर नई समिति का गठन किया जाना चाहिए। 


नगर परिषद के रिटायर्ड अकाउंटेंट रामचंद्र शर्मा का कहना है, समिति के पास लाखों रुपए होने के बावजूद वर्षों से मंदिर का जीर्णोद्धार नहीं कराया जाना कई सवालों को जन्म देता है। कोषाध्यक्ष कहते हैं कि 'वह पूरा हिसाब देने को तैयार हैं और भव्य मंदिर भी बनवाएंगे, लेकिन समिति वही रहेगी जो अब तक रही है।' जबकि हमारी मांग है कि मंदिर की मरम्मत के लिए नई समिति बनाकर आगे का काम किया जाए। वहीं, स्थानीय युवा मिलिंद दुबे कहते हैं, हम यही चाहते हैं कि पुरानी समिति को स्थगित कर नई समिति गठित की जाए, लेकिन पुरानी समिति ऐसा नहीं चाहती।


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