STUDENT'S OPINION | कॉलेजों में जनरल प्रमोशन के पक्ष में नहीं जिले के स्टूडेंट्स, लॉकडाउन के बीच शर्तों के साथ एक्जाम देने के इच्छुक

  • डिंडौरीडॉटनेट ने जानी स्टूडेंट्स की राय, ज्यादातर बोले- हम एक्जाम देकर तय करेंगे भविष्य की राह, एक्जाम दिए बिना जनरल प्रमोशन मंजूर नहीं 


डीडीएन रिपोर्टर | डिंडौरी


सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि 'प्रदेश के छात्रों का भविष्य तभी खतरे में होगा, जब उनकी परीक्षाएं रद्द कर उन्हें 'जनरल प्रमोशन' दिया जाएगा। छात्र-छात्राओं ने मेहनत और लगन से सालभर पढ़ाई की है, इसलिए उसकी परीक्षा जरूरी है। परीक्षा न लेकर जनरल प्रमोशन देना उनके बढ़ते जीवन को बर्बाद करने जैसा होगा।' वहीं, 31 मई को प्रदेश की जनता से संवाद के दौरान सीएम ने यह भी कहा कि मप्र में जून में शिक्षण संस्थान नहीं खुलेंगे। जुलाई में पैरेंट्स और अन्य लोगों से चर्चा के बाद ही हालात को देखते हुए विचार किया जाएगा।


इसी मुद्दे पर डिंडौरीडॉटनेट ने जिले के स्टूडेंट्स की राय जानी तो ज्यादातर जनरल प्रमोशन के पक्ष में नहीं दिखे। उनका कहना है कि हम एक्जाम देकर अपना भविष्य तय करेंगे। कोरोनावायरस महामारी और देशभर में लागू लॉकडाउन के कारण सरकार ने कक्षा पहली से आठवीं तक व कक्षा 9वीं और 11वीं के स्टूडेंट्स को जनरल प्रमोशन दे दिया है। साथ ही 10वीं में भी जनरल प्रमोशन किया गया है। कक्षा 12वीं और कॉलेजों में जनरल प्रमोशन नहीं होगा। आइए जानते हैं, जनरल प्रमोशन पर डिंडौरी जिले के स्टूडेंट्स की क्या राय है...


जनरल प्रमोशन कॉलेज स्टूडेंट्स के हित में बिल्कुल नहीं 



¶¶ स्टूडेंट कंचन सोनी का कहना है, जनरल प्रमोशन से स्टूडेंट्स को जॉब मिलने में भी दिक्कत होगी। हम जब अपना रिज्यूमे और GP वाली मार्कशीट एंप्लॉयर के सामने रखेंगे तो वो देखते ही रिजेक्ट कर देंगे। जॉब के लिए सबसे पहले प्रॉपर एजुकेशनल  डिग्रियां ही देखी जाती हैं। लिहाजा कॉलेजाें में परीक्षा लेकर ही नतीजे घोषित किए जाएं।



¶¶ स्टूडेंट लीला बनावल कहती हैं, जनरल प्रमोशन स्टूडेंट्स के हित में बिल्कुल नहीं है। मध्यप्रदेश शासन को वैकल्पिक प्रश्नों के आधार पर परीक्षा का आयोजन किया जाना चाहिए। छात्रों को अपनी काबिलियत पर उनके भविष्य का रास्ता तय करने दिया जाए। इसका सीधा असर हमारी आगे की पढ़ाई औश्र नौकरी पर पड़ेगा। इसलिए जनरल प्रमोशन नहीं होना चाहिए। 



¶¶ छात्र राजकुमार साहू ने कहा, जनरल प्रमोशन सेमेस्टर में लागू हो सकता है, लेकिन वार्षिक में लागू करना गलत है। किसी भी कानून में ऑर्डिनेंस में जनरल प्रमोशन का कोई प्रोविजन नहीं है। सभी जगह परीक्षा के आधार पर छात्रों को अगली कक्षाओं में भेजा जाता है। प्रमोटेड स्टूडेंट्स दूसरे कॉलेजों के रेगुलर पासआउट स्टूडेंट्स की तुलना में खुद को कमजोर समझेंगे।



¶¶ छात्रा गीता झारिया का कहना है, कोविड-19 के कारण प्रदेश के कॉलेजों में इस सत्र की परीक्षाएं नहीं हो सकीं। राज्यपाल लालजी टंडन का आदेश है कि प्रदेश के कॉलेजों में जनरल प्रमोशन नहीं दिया जाएगा। यह फैसला सही है। मैं फैसले का स्वागत करती हूं। हम अपनी काबिलियत पर परीक्षा देकर अपने भविष्य का रास्ता स्वयं तय करेंगे।



¶¶ छात्र पवन बर्मन कहते हैं, कॉलेज स्टूडेंट्स को जनरल प्रमोशन न देकर एक्जाम कराने का मुद्दा ABVP ने प्रमुखता से उठाया है। हम इसका पूरा समर्थन करते हैं। यह छात्रहित का मामला है। सरकार एक्जाम कराए, हम प्रत्येक शर्त का पालन करते हुए परीक्षा देने को तैयार हैं। जनरल प्रमोशन से शिक्षा पद्धति पर भी कई सवाल उठेंगे।



¶¶ स्टूडेंट लक्ष्मण सिंह चंदेल के मुताबिक कॉलेज हर छात्र के जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव है। हम जनरल प्रमोशन की बजाय नियमों रहकर परीक्षा देने को तैयार हैं। भविष्य में हमें नौकरी मिलने में भी बड़ी परेशानी होगी क्योंकि यह बात तय है कि परीक्षा देकर पास हुए स्टूडेंट्स को जनरली प्रमोटेड स्टूडेंट्स के मुकाबले ज्यादा तरजीह दी जाएगी।



¶¶ स्टूडेंट सत्यम मानिकपुरी के अनुसार वैश्विक महामारी के कारण एक्जाम न होने से परेशानी जरूर हुई है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि परीक्षाएं ही न हों। कुछ स्टूडेंट्स जनरल प्रमोशन की मांग कर रहे हैं, जो गलत है। इससे हमारा भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। साथ ही हमारी काबिलियत का आकलन भी सही तरीके से नहीं हो पाएगा।



¶¶ छात्र नीरज राजपूत कहते हैं, आपत्ति काल में ही मनुष्य के सामर्थ्य की असली परीक्षा होती है। यही हमारी क्षमताएं परखने का सही वक्त है। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी आत्मनिर्भरता की बात की है। ऐसे में परीक्षा लिए बिना जनरल प्रमोशन देने से स्टूडेंट्स की क्षमताओं का परीक्षण नहीं हो पाएगा। साथ ही वो छात्र भी पास हो जाएंगे, जिन्होंने सालभर कोई तैयारी नहीं की।


Content Support | Ravi Raj Biliaya, Dindori


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