'पुलिसवाले' के मन की बात | अपना निजी जीवन कुर्बान करके देशसेवा करने का भाव सिर्फ एक 'पुलिसवाला' ही समझा सकता है

अपराध और अपराधियों के बीच हमेशा ड्यूटी निभाती पुलिस 24 घंटे 07 दिन बिना शिकायत के ऑन फील्ड सक्रिय रहती है। कभी इधर दौड़ो, कभी उधर भागो... क्रिमिनल को पकड़ो, उसकी सजा के लिए प्रयत्न करो और देशभक्ति, जनसेवा में लगे रहो... यह एक 'पुलिसवाले' का दायित्व भी है। पुलिस में ड्यूटी जॉइन करते वक्त 'पुलिसवाला' संकल्प कर कहात है- 'मैं शपथ लेता हूं... भारतीय संविधान के अनुसार अपना कर्तव्य पूरी लगन, निष्ठा और ईमानदारी के साथ निभाऊंगा..।' और रिटायरमेंट तक एक ईमानदार 'पुलिसवाला' इस शपथ को रगों में बसाकर चलता है। दिन हो या रात, आंधी हो या बरसात, तेज धूप हो छांव... 'पुलिसवाला' हमेशा ड्यूटी पर तैनात रहता है। देशभक्ति, जनसेवा की खातिर वह घर-परिवार और रिश्ते-नाते भी भूल जाता है। देश के लिए दायित्व निभाते-निभाते उसका व्यक्तिगत जीवन कहीं पीछे छूट जाता है। ...लेकिन इस सैद्धांतिक पद्धति से हटकर सोचेंगे तो पाएंगे कि आखिर 'पुलिसवाला' भी इंसान ही होता है। उसका भी व्यक्तिगत जीवन होता है और परिवार भी। उसे भी मानव अधिकारों के साथ जीने की हक संविधान ने ही दिया है। देशभक्ति] जनसेवा का भाव लेकर व्यक्तिगत जीवन को तरसते अल्फाजों के साथ डिंडौरी जिले के ट्रैफिक इंचार्ज राहुल तिवारी ने सोशल मीडिया पर एक 'पुलिसवाले' के मन की बात बयां की है, जो समाज को सोचने पर विवश करता है। पुलिस की नौकरी आसान नहीं, न ही आसान है एक 'पुलिसवाला' होना। हरदम ड्यूटी निभाते ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ पुलिस को डिंडौरीडॉटनेट का सैल्यूट।



राहुल तिवारी लिखते हैं...


पिछले वर्ष अगस्त माह से ये सिलसिला चालू हुआ था, जो अब तक नहीं थमा। गणेशोत्सव से फुर्सत हुए, मां दुर्गोत्सव आ गया... फिर दशहरा, फिर मोहर्रम, फिर ईद, फिर दीवाली, फिर राम मंदिर का फैसला, फिर CAA और  NRC का विरोध और अब कोरोनावायरस... लॉकडाउन..। बीते  09 महीने से ऐसी ही मैराथन ड्यूटी चल रही है। समझ नहीं आता ये सब कब खत्म होगा..! कभी-कभी मन में कुंठा का भाव आ जाता है कि ये सब क्या है? क्या व्यक्तिगत जीवन समाप्त हो गया है... पर फिर मन के किसी कोने से एक आवाज़ आती है, जो मन को बड़ा सुकून देती है और कहती है- ये सब जो तू कर रहा है... देश के लिए कर रहा है... अपने देश के लोगों की भलाई के लिए कर रहा है। उसी पल मन में आया कुंठा का भाव चला जाता है और एक नई ऊर्जा का संचार होता है। ...और हम लग जाते हैं अपने काम में, एक नई उमंग, नए उत्साह के साथ। इन सब में सबसे बड़ा हाथ होता है हमारे परिवार का, जो हमारे साथ हमेशा खड़ा रहता है अपनी खुशियों को कुर्बान करके।


धन्यवाद


देशभक्ति जनसेवा 


मप्र पुलिस


 


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