हल्दी करेली... डिंडौरी के मिनी गोवा में परिवार के साथ उठाइए आउटिंग का आनंद मगर गंदगी न फैलाएं

यहां की प्राकृतिक बनावट और पानी के सामने सफेद रेत के टापू की संचरना के कारण इसे मिनी गोवा कहते हैं 


डीडीएन इनपुट डेस्क | हर मौसम में हजारों-लाखों लोग हजारो-लाखों रुपए खर्च करके गोवा घूमने जाते हैं। वहां बीच के किनारे बैठकर समुद्र का दीदार करते हैं, ढेर सारे फोटो खींचते-खिंचाते हैं, पब जाकर डांस-पार्टी करते हैं और वापस अपने घरों को लौट जाते हैं। अगर आप सिर्फ रेत पर बैठकर पानी का नजारा देखने के लिए गाेवा जाते हैं तो यह कतई फायदे का सौदा नहीं है। इससे कहीं ज्यादा खुशनुमा दृश्य आपको डिंडौरी जिले के समनापुर स्थित हल्दी करेली में मिल जाएंगे। इस स्थान पर बुढ़नेर से आने वाला अथाह जलसमूह आपका मन मोह लेगा। कई जगह रेत के छोटे-बड़े टापू और घने जंगल भी हैं। इन्हीं खासियतों को ध्यान में रखकर इसे मिनी गोवा का नाम दिया गया है। अगर इसे सरकार द्वारा सही दिशा में विकसित किया जाए तो असल गोवा कहीं पीछे छूट जाएगा। कोई ठोस संरक्षण-सुरक्षा न होने से इस स्थान की नैसर्गिकता संकट में है। कुछ नासमझ पर्यटकों की मूर्खता और प्रशासन की अनदेखी के चलते यहां ढेर सारा प्लास्टिक वेस्ट और अन्य प्रकार की गंदगी फैल रही है। यह गंदगी न केवल मानव सभ्यता बल्कि समूचे पर्यावरण के लिए घातक है। हल्दी करेली बहुत ही अच्छा पिकनिक स्पॉट है। बुढ़नेर नदी से आने वाले जल से इस स्थान पर कुछ छोटे-छोटे वाॅटरफाॅल बनाते हैं, जिन्हें देखना अत्यंत सुकून भरा होता है। यहां बुढ़नेर नदी साल के घने जंगलों के बीच बहुत ही शांति से बहती है। रास्तों पर चट्टानों की मौजूदगी से खूबसूरत झरने बनते हैं। इसे सहेजना और सरंक्षित करना हमारी भी जिम्मेदारी है।



इस जगह का नाम कैसे पड़ा हल्दी करेली 


हल्दी करेली में वाॅटरफाॅल के पास स्थित पत्थर और चट्टानें पीली (हल्दी रंग) और चांदी (सिल्वर) के रंग की होने से यहां का नजारा काफी आकर्षक दिखता है। इसी वजह से यह स्थान हल्दी करेली कहलाता है। यहां चट्टानों के बीच में कहीं-कहीं खोह (गहरे गैप) भी बन गई हैं। चट्टान से गिरने के बाद बुढ़नेर नदी फिर से शांत प्रवाह से आगे बढ़कर सफेद रेत का विशाल मैदान बनाती है, जो देखने में गोवा के समुद्र तट जैसा दिखाई देता है।




यहां रुकने की व्यवस्था नहीं, समनापुर नजदीकी स्थान


हल्दी करेली में वाॅटरफाॅल के पास ही एक मंदिर और चट्टान स्थित है। रोजाना काफी संख्या में लोग यहां पूजा-पाठ करने भी आते हैं। यहां पर रुकने या भोजन आदि की कोई व्यवस्था नहीं है। समनापुर नजदीकी स्थान है। या फिर आप वापस डिंडौरी आकर रुक सकते हैं।



यहां पहुंचने के लिए खुद का वाहन ज्यादा उपयोगी


हल्दी करेली डिंडौरी से करीब 48 किलोमीटर दूर है। डिंडौरी से बिछिया मार्ग पर समनापुर से 13 किलोमीटर दूर मैन रोड पर चलने के बाद 8 किलोमीटर अंदर जाकर हल्दी करेली गांव आता है। पक्की सड़क यहीं तक है। फिर यहां से 1.5 किलोमीटर का कच्चा लेकिन चौड़ा रास्ता है। एक छोटा नाला पार करने के बाद कुछ ही आगे बुढ़नेर नदी है। कच्चे रास्ते में सर्दी और गर्मी में कार, बाइक जैसे वाहन से आ-जा सकते हैं लेकिन बरसात में रास्ता कीचड़ से भरा होता है इसलिए पैदल चलकर जाना होता है। 



Comments
Popular posts
श्रीऋणमुक्तेश्वर मंदिर कुकर्रामठ... यहां स्थापित शिवलिंग के दर्शन करने से मिलती है पितृ-देव-गुरु-ऋण से मुक्ति
Image
10th Result | हाईस्कूल परीक्षा में डिंडौरी के टॉप-02 में मदर टेरेसा स्कूल के 04 स्टूडेंट्स, टॉप-03 में राजूषा स्कूल डिंडौरी और शहपुरा मदर टेरेसा स्कूल से 1-1 स्टूडेंट
Image
NEW ASP IN TOWN | 2002 बैच के राज्य पुलिस सेवा अधिकारी जगन्नाथ मरकाम ने संभाला डिंडौरी ASP का पदभार, 08 महीने बाद पुलिस विभाग को मिला नया उप-कप्तान
Image
डिंडौरी जिपं CEO और शहपुरा SDM बदले गए | 2014 बैच के IAS अरुण कुमार होंगे डिंडौरी जिपं के नए CEO, 2017 बैच की IAS अंजू अरुण कुमार शहपुरा की नई SDM
Image