- अंतिम दिन कथावाचक ने किया नवयोगेश्वर संवाद, अवधूतोपाख्यान और कलि धर्म प्रसंग का वर्णन, 19 फरवरी को दोपहर 12:30 बजे से होगा महाप्रसाद वितरण
'मां नर्मदा की पावन नगरी डिंडौरी में लीला पुरुषोत्तम श्रीकृष्ण की कथाएं सुनाने का अवसर मिला, यह परम सौभाग्य की बात है। नगर के किशोरी गार्डन में सात दिन तक भगवान की कथाओं का रसपान कराना किसी अद्भुत उपलब्धि से कम नहीं था। मैं डिंडौरी के नागरिकों को वृंदावन धाम पधारने का न्योता देती हूं।' वृंदावन की कथावाचक रक्षा सरस्वती ने यह विचार वार्ड-05 स्थित किशोरी रिसॉर्ट में संगीतमय श्रीमद्भागवत महापुराण के अंतिम दिन गुरुवार को व्यक्त किया। उन्होंने कथा विश्राम दिवस पर नवयोगेश्वर संवाद, अवधूतोपाख्यान और कलि धर्म प्रसंग का वर्णन किया। इससे पहले के दिनों में कथाव्यास ने भागवत महात्म्य, कपिल-परीक्षित जन्म, शुकदेव आगमन, सप्तऋषि वर्णन, कपिलोपाख्यान, ध्रुव चरित्र, पुरंजनोपाख्यान, भरत चरित्र, अजामिलोपाख्यान, नृसिंह अवतार, प्रह्लाद चरित्र, गजेंद्र उद्धार, वामन अवतार, श्रीराम अवतार, श्रीकृष्ण जन्म, श्रीकृष्ण बाललीला, माखन चोरी, गौचारण, गोवर्धन पूजा, श्रीकृष्ण-रुक्मणि विवाह, सुदामा चरित्र और द्वारिका लीला का वर्णन किया। पुराण का आयोजन नगर के रामलाल बर्मन और सुशीला बर्मन की ओर से कराया गया। मुख्य यजमान ने डिंडौरीडॉटनेट को बताया कि कथा में सातों दिन जिले के विभिन्न क्षेत्रों के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने कथामंडप पहुंचकर पुण्यार्जन किया। 19 फरवरी को दोपहर 12:30 बजे से महाप्रसाद का वितरण किया जाएगा। भजनों के दौरान ऑर्गन पर मन्नू कुमार, पैड पर रवि, तबले पर राजू और झनकी पर पवन ने कुशल संगत की।
जिन पर बिहारीजी की कृपा, वही कर पाते हैं ऐसे आयोजन
कथा समापन में रक्षा सरस्वती ने कहा कि पंचम वेद श्रीमद्भागवत पुराण की कथाओं को जनता के बीच पहुंचाने का साैभाग्य उन्हीं को मिलता है, जिन पर बिहारीजी की विशेष कृपा होती है। बर्मन परिवार भाग्यशाली है कि उन्हें यह अवसर प्राप्त हुआ। गुरुवार को विश्राम दिवस होने के कारण कथा लंबे समय तक चली। संध्या आरती के पहले नगर के नन्हे-मुन्ने बच्चों ने राधा-कृष्ण, ग्वाल-बाल के रूप में फूलों की होली खेली। दूर-दराज के क्षेत्रों से पहुंचे सैकड़ों श्रद्धालुओं ने झूम-झूमकर भगवान श्रीकृष्ण की आराधना की और श्रीमद्भागवत पुराण का अद्भुत आनंद उठाया।