बोंदर में लगा खुशियों का मेला : बोंदर को 2 करोड़ 6 लाख के स्कूल-हॉस्टल की सौगात

बोंदर मेला के पितामह ठक्कर बापा की 150वीं जयंती पर हजारों लोग पहुंचे बोंदर


डीडीएन रिपोर्टर | डिंडौरी/बोंदर


ठक्कर बापा। पूरा नाम अमृतलाल विट्ठल दास ठक्कर। महात्मा गांधी के साथी रहे ठक्कर बापा ने LCE (Licenciate in Civil Engineering) की डिग्री हासिल की थी, जिसे वर्तमान में Civil Engineering कहते हैं। बापा को समाज से इतना प्यार था कि 23 साल तक नौकरी करने के बाद समाजसेवक बन गए। उन्हाेंने देशभर में घूम-घूमकर जरूरतमंद, असहाय, आदिवासी, हरिजनों आदि के उन्मूलन के लिए करीब 35 साल तक काम किया। कई स्कूल खोले और अस्पताल बनवाए। 1944 में आदिवासियों और पिछड़े तबके के बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए उन्होंने डिंडौरी के बोंदर में बापा ने माध्यमिक विद्यालय की शुरुआत की। पुण्यआत्मा ठक्कर बापा की 150वीं जयंती पर बोंदर में भव्य मेले का आयोजन किया गया। इसमें न केवल डिंडौरी जिला, बल्कि अन्य जिलों के विभिन्न गांवों से भी बापा के अनुयायी शामिल हुए।



मंत्री मरकाम ने मौजूदा स्कूल व हॉस्टल के लिए भी 10 लाख दिए


इस अवसर पर आदिम जाति कल्याण मंत्री ओमकार सिंह मरकाम ने बोंदर में नए स्कूल और हॉस्टल के लिए जमीन देने वाले दानदाताओं को धन्यवाद दिया। साथ ही भरोसा दिया कि स्कूल और हॉस्टल के लिए उनकी ओर से 2 करोड़ 6 लाख रुपए प्रदान किए जाएंगे। वहीं, वर्तमान स्कूल और हॉस्टल की मरम्मत के लिए 10 लाख रुपए अलग से दिए जाएंगे। मरकाम ने कहा, डिंडौरी जिले में नलजल प्रदाय योजना के लिए भी 3 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं।



मेले में काफी संख्या में पहुंचे शासन-प्रशासन के पदाधिकारी


मेले में डिंडौरी कलेक्टर बी. कार्तिकेयन, जिला पंचायत अध्यक्ष ज्योतिप्रकाश धुर्वे, जनपद पंचायत बजाग अध्यक्ष रूदेश परस्ते, पूर्व विधायक दुलीचंद उरैती, जिला कबड्डी संघ अध्यक्ष राधेलाल नागवंशी, जिला पंचायत सीईओ एमएल वर्मा, डिंडौरी एसडीएम सत्यम कुमार, आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त डॉ. अमर सिंह उईके,  सर्व शिक्षा अभियान के जिला समन्वयक राघवेन्द्र मिश्रा, समाजसेवी कैलाशचंद जैन, अशोक अवधिया, भूपत कांसिया आदि समेज हजारों लोग शामिल हुए।



डिंडौरी जिले के हर घर में पहुंचेगा मां नर्मदा का जल, 3 करोड़ की योजना


बोंदर मेले का शुभारंभ करते हुए आदिम जाति कल्याण मंत्री ओमकार सिंह मरकाम ने डिंडौरी जिले के लिए एक से बढ़कर एक सौगातों का पिटारा खोल दिया। उन्होंने कहा, जिले के हर घर में मां नर्मदा का पवित्र जल पहुंचेगा। नलजल प्रदाय योजना के तहत 3 करोड़ रुपए सैंक्शन किए गए हैं। साथ ही तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 5 करोड़ रुपए की लागत से कम्प्यूटर सेंटर खोले जाएंगे। इनमें जिले के स्टूडेंट्स को कम्प्यूटर में ट्रेंड किया जाएगा। इससे उनके लिए रोजगार के अच्छे अवसर उत्पन्न होंगे। साथ ही स्थानीय स्तर पर ही बेहतर करियर ऑप्शन भी तलाश सकेंगे।



पांच करोड़ आदिवासी कला एवं सांस्कृतिक केंद्र के लिए


मंत्री मरकाम ने यह घोषणा भी प्रमुख रूप से की कि डिंडौरी जिले में आदिवासी संस्कृति, कला एवं परम्पराओं को बढ़ाने के लिए जल्द ही 5 करोड़ की लागत से आदिवासी कला एवं संस्कृति केन्द्र की नींव भी रखी जाएगी। बोंदर स्कूल में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को स्टेशनरी आइटम्स के लिए 20 हजार रुपए मिलेंगे। मंत्री ने मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाली हर टीम को पांच-पांच हजार रुपए देने की बात भी कही। 



नई शुरुआत : 'मदद योजना' में हर गांव को मिलेंगे बर्तन और अनाज


मंत्री मरकाम ने बताया- मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आदिवासियों के लिए एक नई शुरुआत की है। इसका नाम है मदद योजना। इसके तहत आदिवासियों के विकास और उन्मूलन की दिशा में काम किया जाएगा। योजना के अंतर्गत प्रत्येक गांव को 25-25 हजार रुपए के बर्तन उपलब्ध कराए जाएंगे। साथ ही आदिवासी परिवारों में जन्म के अवसर पर 50 किलो अनाज और किसी परिवार में मृत्यु हुई तो एक क्विंटल अनाज प्रदान किया जाएगा। मंत्री ने मंच से ही सुनिश्चित किया कि योजना के संचालन में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आएगी। आदिवासी परिवारों को उनका हक बिना किसी कठिनाई के प्राप्त होगा। उन्होंने परिवारों को बर्तन-अनाज का वितरण भी किया।



  • ठक्कर बापा... जो डिंडौरी जिले की रगों में बसते हैं 




बापू से उम्र में 58 दिन छोटे थे बापा : बोंदर के मसीहा ठक्कर बापा (बाप्पा) राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के करीबी थे। दोनों में उम्र का फासला महज 58 दिनों का था। गुजरात के भावनगर में जन्मे बापा ने गुजरात के ही पोरबंदर में पैदा हुए बापू के साथ कई आंदोलन किए। उनके बारे में देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा था‌- 'जब-जब नि:स्वार्थ सेवकों की याद आएगी, ठक्कर बापा की प्रतिमा आंखों के सामने आकर खड़ी हो जाएगी।' आजादी के बाद बापा संसद के भी सदस्य रहे। उनका मूल नाम अमृतलाल ठक्कर है। उनकी सेवाभाव के कारण उन्हें बापा या ठक्कर बापा कहा जाने लगा। बापा ने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद नौकरी की। फिर नौकरी छोड़कर समाजसेवा करने लगे। डिंडौरी जिले में 30-40 के दशक में महामारी फैली थी, जिसके बारे में सुनकर बापा यहां दौड़े चले आए थे। फिर यहां ऐसे रमे कि एक के बाद एक बड़े-बड़े काम करने लगे। उन्हीं की स्मृति स्वरूप बोंदर का बापा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय आज भी आदिवासी क्षेत्रों के वंचित बच्चों में शिक्षा की रोशनी फैला रहा है।


बोंदर मेले के कवरेज का ई-पेपर यहां देखें : https://www.facebook.com/dindori.net/photos/a.312655389395016/445003772826843/?type=3&theater


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